Video: भक्ति भाव से शुरू हुई बिहुला-विषहरी पूजा, जानिए क्या है इसकी कहानी
बिहुला विषहरी लोक साहित्य में बिहुला का मायका नवगछिया के उजानी गांव बताया गया है. वर्षों से लोगों में मान्यता है कि 17 अगस्त को सती बिहुला का नवगछिया आगमन होता है और यहां उन्हें उसी तरह सम्मान मिलता है जैसे जब कोई बेटी अपने ससुराल से मायका आती है
बिहुला विषहरी पूजा : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 17 अगस्त को सती बिहुला अपने मायके पहुंच गयी हैं. बिहुला के नवगछिया पहुंचने पर लोगों ने श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा अर्चना कर स्वागत अभिनंदन किया. नवगछिया के डॉ राणा वाली गली में माता विषहरी की पांच बहनों के साथ बिहुला को ससम्मान सिंहासन पर बैठाया गया और वैदिक विधि विधान से पूजा की गयी. नवगछिया के बिहुला चौक में हो रहे पूजन समारोह में सुबह से महिलाएं डलिया चढ़ा कर पूजा पाठ की.
नवगछिया एसपी ने मंदिर परिसर में पूजा अर्चना की. पंडित शैलेश झा ने मंत्रोच्चार किया. पूजा स्थल पर आयोजन समिति की ओर से चौबीस घंटे का अष्टयाम का आयोजन किया जा रहा है. बिहुला विषहरी लोक साहित्य में बिहुला का मायका नवगछिया के उजानी गांव बताया गया है. वर्षों से लोगों में मान्यता है कि 17 अगस्त को सती बिहुला का नवगछिया आगमन होता है और यहां उन्हें उसी तरह सम्मान मिलता है जैसे जब कोई बेटी अपने ससुराल से मायका आती है. पूजा समारोह के मुकेश राणा ने बताया कि 18 अगस्त को संध्या विसर्जन यात्रा के साथ पूजा समारोह का समापन होगा.
बिहुला विषहरी की कहानी
चंपानगर एक बड़े व्यापारी व्यापारी चांदो सौदागर शिव भक्त थे. ऐसा माना जाता है कि विषहरी शिव की पुत्री कहीं जाती है. लेकिन चांदो सौदागर शिवभक्त होते ही विषहरी की पूजा नहीं करना चाहते थे. विषहरी पर दबाव डाला गया कि चांदो सौदागर से मेरी पूजा कराई जाए लेकिन चांदो सौदागर नहीं माने और मां विषहरी अपनी पूजा करवाने के लिए चांदो सौदागर के पूरे परिवार को मारते चला गया चांदो सौदागर का छोटा बेटा बाला लखेन्दर की शादी के दिन ही मां विषहरी ने डस लिया सती बिहुला अपने पति के प्राण के लिए स्वर्ग लोक पहुंचे और स्वर्ग लोक से अपने पति के प्राण वापस लाएं चंपानगर स्थित मां विषहरी के मंदिर में अंत में चांदो सौदागर में बाया हाथ से बिसहरी की पूजा किया गया इसी परंपरा को अंग जनपद के लोगों ने 17 अगस्त और 18 अगस्त को धूमधाम से की पूजा की जाती है