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बिनोद बिहारी महतो जन्मशती: हमेशा रहे मुखर, बिहार विधानसभा में उठाया था कुड़मी को एनेक्सर-1 में लाने का मामला

24 जनवरी, 1990 को बिहार विधानसभा में बिनोद बिहारी महतो ने संथाल परगना प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति को छोटानागपुर प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति की तरह एनेक्सर-1 में शामिल करने का मामला भी उठाया था. उस समय विधानसभा के अध्यक्ष मो हिदायतुल्लाह खान थे.

By Prabhat Khabar News Desk | September 23, 2023 6:20 AM

पटना, मिथिलेश कुमार: बिनोद बिहारी महतो अविभाजित बिहार में करीब 11 वर्षों से अधिक समय तक विधायक रहे. अविभाजित बिहार विधानसभा के दस्तावेज बताते हैं कि अपने कार्यकाल के दौरान बिनोद बिहारी महतो मजदूरों के सवाल पर हमेशा सदन में संवदेनशील रहे. न्यूनतम मजदूरी का मामला हो या फिर मिटको द्वारा बोनस भुगतान का मसला, बिनोद बिहारी महतो के सवाल पर सरकार सजग हुई और मजदूरों को उसका लाभ मिला.

24 जनवरी, 1990 को बिहार विधानसभा में बिनोद बिहारी महतो ने संथाल परगना प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति को छोटानागपुर प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति की तरह एनेक्सर-1 में शामिल करने का मामला भी उठाया था. उस समय विधानसभा के अध्यक्ष मो हिदायतुल्लाह खान थे. बिनोद बिहारी महतो ने तारांकित सवाल उठाया था कि जिस प्रकार छोटानागपुर प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति को एनेक्सर-1 में शामिल किया गया है, उसी प्रकार संथाल परगना प्रमंडल के निवासी कुड़मी महतो जाति को भी एनेक्सर-1 में शामिल किया जाये. उस समय संथाल परगना प्रमंडल की कुड़मी महतो जाति को एनेक्सर-2 में रखा गया था.

बिनोद बिहारी महतो ने सवाल उठाया था कि छोटानागपुर और संथाल परगना प्रमंडल, दोनों ही जगहों के कुड़मी महतो आर्थिक एवं अन्य दृष्टि से भी पिछड़े हुए हैं. श्री महतो के इस सवाल पर तत्कालीन कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रभारी मंत्री ने सदन में स्वीकार किया था कि छोटानागपुर और संथाल परगना प्रमंडल के कुड़मी महतो जाति के लोग आर्थिक एवं अन्य दृष्टि से समान रूप से पिछड़े हैं. मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि यह मामला उच्चस्तरीय कमेटी के विचार के लिए रखा गया है कि पूरे बिहार में कुड़मी जाति एनेक्सर-1 को अत्यंत पिछड़ा वर्ग में वर्गीकृत किया जाये या नहीं. मंत्री ने कहा कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस पर जल्द निर्णय करेगी.

29 जुलाई,1991 को टुंडी के विधायक के रूप में बिनोद बिहारी महतो ने सवाल उठाया था कि धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के साल पहाड़, पावरा, पोखरिया, बसाहा, अमरपुर व इसके समीप के गांव आदिवासी और अनुसूचित जाति बहुल हैं, उनका कहना था कि यह सभी इलाका टुंडी प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर है. इन सभी इलाकों में एक भी बालक और बालिका हाइ-स्कूल नहीं है. उन्होंने तारांकित सवाल के माध्यम से इन सभी इलाकों में एक-एक बालक और बालिका हाइ-स्कूल खोले जाने की सरकार से मांग की. तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने सदन में इस सवाल को स्वीकार किया था.

20 दिसंबर, 1980 को निगरानी विभाग के 24 दारोगा के पदों को प्राेन्नति से भरे जाने में दलित और आदिवासी के एक भी नाम नहीं होने का मामला उठाया था. 12 मार्च, 1986 को बोकारो में ठेकेदारों के अधीन काम करने वाले कैंटीन मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलने का मामला उठाया था.

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