‘विद्यापति’ की बायोपिक में दिखेंगे महाकवि के अनछुए प्रसंग, मिथिला के साथ दिखेगी बंगाल- ओडिशा की सांस्कृतिक झलक
फिल्म से जुड़े लोगों को विश्वास है कि इस फिल्म को बांग्ला और ओड़िया समाज का भी भरपूर प्यार मिलेगा. महाकवि विद्यापति के जीवन पर आधारित फीचर फिल्म 'विद्यापति' को निर्देशित किया है श्याम भास्कर ने, जबकि संगीत से सजाया है आलोक कुमार ने.
आशीष झा. पटना. महाकवि विद्यापति ठाकुर एक ऐसी कड़ी हैं जो मिथिला के साथ-साथ बंगाल और ओडिशा को एकसूत्र में पिरोते हैं. विद्यापति के जीवन को समग्रता में समझने के लिए अब तक कोई फिल्म नहीं थी. ऐसे में जानकी फिल्म के बैनर तले हिंदी और मैथिली में बनी फीचर फिल्म ‘विद्यापति’ इस गैप को भरने की कोशिश करेगी. फिल्म से जुड़े लोगों को विश्वास है कि इस फिल्म को बांग्ला और ओड़िया समाज का भी भरपूर प्यार मिलेगा. महाकवि विद्यापति के जीवन पर आधारित फीचर फिल्म ‘विद्यापति’ को निर्देशित किया है श्याम भास्कर ने, जबकि संगीत से सजाया है आलोक कुमार ने. फिल्म के निर्माता सुनील कुमार झा ने बताया कि फिल्म अभी सेंसर बोर्ड के पास है और वहां से प्रमाणपत्र मिलते ही इस साल के अंत तक इसके रिलीज होने की उम्मीद है. 10 नवंबर को फिल्म का ट्रेलर मधुबनी में रिलीज रिलीज किया जाएगा.
विद्यापति को संपूर्णता में दिखाने की कोशिश है ये फिल्म
एनएसडी, दिल्ली से पढ़े श्याम भास्कर मैथिली के चर्चित निर्देशक हैं और इनके निर्देशन में कई अलबम और टेली फिल्में रिलीज हो चुकी हैं. इनके निर्देशन में ‘विद्यापति’ नामक रेडियो धारावाहिक का प्रसारण आकाशवाणी, दरभंगा से हो चुका है. फिल्म के संबंध में निर्देशक श्याम भास्कर कहते हैं कि विद्यापति पर पहली फिल्म 1936 में बांग्ला भाषा में बनी थी और दूसरी फिल्म 1964 में हिंदी में बनी थी, जिसमें भरत भूषण ने विद्यापति का किरदार निभाया था. भास्कर कहते हैं कि कहने को यह विद्यापति के जीवन पर बननेवाली तीसरी फिल्म है, लेकिन उन फिल्मों में विद्यापति के जीवन को समग्रता में जानने – समझने की कोशिश नहीं की गयी है.
इस फिल्म में महज एक कवि की भूमिका में नहीं हैं विद्यापति
फिल्म की गंभीरता को लेकर भास्कर कहते हैं कि ये फिल्में न तो गंभीर अध्येताओं को प्रभावित करती हैं और न ही मनोरंजन के दृष्टिकोण से ये महत्वपूर्ण हैं. हमने फीचर फिल्म ‘विद्यापति’ में केवल महाकवि को नहीं देखा है, बल्कि उनके कई पक्षों को भी दिखाने का काम किया है. इसमें उनके जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की गयी है, जो मनोरंजक होने के साथ-साथ शिक्षाप्रद भी है. उन्होंने बताया कि इस फिल्म का निर्माण इस तरह किया गया है कि साहित्य और इतिहास के गंभीर अध्येताओं को तो यह बेहतर अनुभव देगा ही, साथ ही सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से सिनेमा देखने वाले लोगों को भी प्रभावित करेगा. आशा है कि हमारा यह प्रयास दर्शकों को पसंद आयेगा. श्याम भास्कर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह फिल्म मैथिली फिल्म के इतिहास में एक नयी ऊंचाई को प्राप्त करेगा.
इतने महंगे सेट पर पहली बार हुई मैथिली फिल्म की शूटिंग
फिल्म के निर्माता सुनील कुमार झा ने बताया कि महाकवि विद्यापति ने भारत के व्यापक जनसमुदाय को प्रभावित किया है. यही कारण है कि हम इस फिल्म को विभिन्न भारतीय भाषाओं में रिलीज करने जा रहे हैं, ताकि संपूर्ण देश के लोग कवि कोकिल विद्यापति के जीवन के अनछुए पहलुओं से अवगत हो सकें. उन्होंने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग मधुबनी जिले के मंगरौनी गांव में हुई है. मंगरौनी में दो जगहों पर इसके लिए सेट का निर्माण किया गया था. मैथिली फिल्म के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि जब किसी फिल्म की शूटिंग के लिए लाखों रुपये का सेट डिजाइन किया गया. इस सेट के माध्यम से मिथिला की चौदहवीं सदी के राजमहल और गांव को चित्रित करने की कोशिश की गयी है.
बंगाल और ओडिशा की दिखेगी सांस्कृतिक झलक
फिल्म में कत्थक और ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन भी मनमोहक होगा. कत्थक और ओडिसी नृत्यों को प्रस्तुत करने के लिए बंगाल और ओडिशा के नामचीन कलाकारों को बुलाया गया था. नृत्यांगना शोभना पंडा ने बताया कि विद्यापति ने संपूर्ण भारत को तो प्रभावित किया ही लेकिन उन्होंने ओड़िया और बांग्ला को सर्वाधिक प्रभावित किया. फिल्म के कोरियोग्राफर जेपी पाठक का कहना है कि कत्थक और ओडिसी नृत्यों की प्रस्तुति ने इस फिल्म की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम किया है. फिल्म में बहुत ही गंभीर विषय को बहुत ही मनोरंजक ढंग से पेश किया गया है. मुझे विश्वास है कि इस फिल्म को दर्शकों की खूब सराहना मिलेगी और यह फिल्म राष्ट्रीय स्तर के कई अवार्ड अपने नाम करने में कामयाब होगी.
फिल्म में दिखेंगे मैथिली सिनेमा के कई जाने-माने चेहरे
फिल्म में महाकवि का किरदार निभानेवाले तुषार और उनकी पत्नी का किरदार निभानेवाली साक्षी मिश्र का कहना है कि यह किरदार उनके लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इस चुनौती को उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. अब इसमें कितनी सफलता मिली यह तो दर्शक ही बताएंगे. लेकिन यह तय है कि यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आएगी. विद्यापति को जाननेवाले हर व्यक्ति को यह फिल्म जरूर एक बार देखनी चाहिए. निश्चित रूप से उन्हें इसमें कुछ न कुछ नया हासिल होगा. तुषार और साक्षी मिश्र इससे पहले मैथिली फीचर फिल्म ‘बबितिया’ में नजर आ चुके हैं. इस फिल्म में इन दोनों के अभिनय की खूब सराहना की गयी थी. इस फिल्म में मैथिली रंगमंच की प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रेमलता मिश्र प्रेम भी नजर आएंगी. इनके अलावा मैथिली के प्रसिद्ध कलाकार शुभनारायण झा, विजय मिश्र, प्रवीण झा आदि भी नजर आएंगे.