पटना. बर्ड फ्लू से देश के कई राज्यों को प्रभावित होने के बाद बिहार में भी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने गुरुवार को अलर्ट जारी किया है. हालांकि, पटना समेत राज्य के किसी भी वन्य प्राणी अभ्यारण्य एवं संरक्षित वन क्षेत्र के किसी पक्षी की बर्ड फ्लू से मौत की खबर अब तक नहीं मिली है.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि उनका विभाग लगातार पशुपालन विभाग के संपर्क में है.
हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं. करीब डेढ़ साल पहले पटना जू में बड़ी संख्या में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत हुई थी. इसके बाद पटना जू लंबे समय तक बंद रहा था. पक्षियों के पिंजड़ों की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
पटना में बर्ड फ्लू को लेकर अभी कोई तैयारी नहीं दिख रही है. स्वास्थ्य महकमे को यह भी मालूम नहीं कि अगर बर्ड फ्लू की आशंका वाले पक्षी सामने आ जायेंगे तो उनकी जांच कहां करवानी है.
पक्षियों में आज तक बर्ड फ्लू की जांच का कोई सेंटर पटना या राज्य में नहीं बन पाया है. इसके लिए सैंपल दूसरे राज्यों में भेजना पड़ता है. हालांकि पटना की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने बताया कि अभी चिंता की कोई बात नहीं है.
उन्होंने बताया कि हम स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं. इधर, पटना जू में फिलहाल कोई भी बर्ड फ्लू का संक्रमण नहीं फैला है. फिर भी सावधानी बरती जा रही है. पटना जू के डायरेक्टर अमित कुमार ने बताया कि दो साल पहले बर्ड फ्लू फैला था. तब से लगातार यहां सावधानी बरती जाती है.
बर्ड फ्लू के बढ़ते प्रकोप के कारण मछली बाजार में अचानक 25 फीसदी से अधिक मांग बढ़ गयी है. जबकि दूसरी ओर चिकेन की मांग में 40 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गयी है. मछली कारोबारियों की मानें, तो मछली बाजार में जिंदा मछलियों की मांग बढ़ी है.
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश की मछलियों की मांग में कमी दर्ज की गयी है. क्योंकि लोग मरी हुई मछली खाने से परहेज कर रहे है. जिंदा मछली के मुकाबले कम कीमत होने के बावजूद फिलवक्त लोग इससे मुंह फेर रहे हैं.
मिली जानकारी के अनुसार बाजार समिति में हर दिन 300 क्विंटल से अधिक जिंदा मछलियां रेहू, कतला, ग्रास कॉर्प (लादुस) और कॉमन कॉर्प पहुंचती हैं. लोकल जिंदा मछलियां मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीवान, नालंदा, पटना, जहानाबाद और मसौढ़ी से आती हैं.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल से रेहू और कतला पटना मंडी में सौ क्विंटल से अधिक पहुंचता है. इस बीच मांग बढ़ने से मछलियों की कीमत में भी दस से 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. आंध्र प्रदेश की मछलियां हर दिन लगभग 50 हजार किलो बाजार समिति पहुंचती हैं.
इनमें रेहू, कतला और फंगास प्रजाति शामिल हैं. मछली विक्रेताओं ने बताया कि आंध्र प्रदेश की मछलियों के आने में कम-से-कम तीन से चार दिन का वक्त लगता है.
लोगों ने बताया कि जिस रफ्तार से पूरे देश में बर्ड फ्लू के मामले बढ़ने की सूचना मिल रही है. उसे देखते हुए जिंदा मछली खाना ही हितकर है.
Posted by Ashish Jha