मुजफ्फरपुर: महान कृतियों के अमर रचनाकार रामवृक्ष बेनीपुरी कलम के योद्धा के साथ स्वाधीनता के सिपाही भी थे. उनके लेखन में क्रांति की ज्वाला थी तो भविष्य की नयी राह भी. रामवृक्ष बेनीपुरी राजनीति की राह पर भी संघर्षशील थे. एक ही साथ वे साहित्यकार, पत्रकार, राजनीतिक कार्यकर्ता और सामाजिक आंदोलनों के अगुवा भी थे. कला की नामचीन हस्तियों से भी उनका गहरा संबंध था. डॉ रामवृक्ष बेनीपुरी से जुड़े कई रोचक प्रसंग आज भी चर्चित हैं. उन्हीं में से एक राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और बेनीपुरी का है.
रामवृक्ष बेनीपुरी के नाती महंथ राजीव रंजन दास बेनीपुरी डायरी के हवाले से कहते हैं कि नाना ने 1959 में औराई के जनाढ़ में बागमती कॉलेज खोलने की योजना बनायी. इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को उद्घाटन के लिए बुलाया. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने हामी भर दी, लेकिन राजनीतिक दांव-पेच उनके आने पर संशय हो गया. इसी बीच रामवृक्ष बेनीपुरी को लकवा मार दिया. डॉ राजेंद प्रसाद को बिहार सरकार की ओर से खबर मिली कि बेनीपुरी बीमार हो गये हैं, कॉलेज का उद्घाटन नहीं होगा. डॉ राजेंद्र प्रसाद को जब जानकारी मिली कि बेनीपुरी बीमार हैं तो कहा कि हम वहां जरूर जायेंगे और 3 दिसंबर, 1959 को जनाढ़ पहुंच कर कॉलेज का उद्धाटन किया. उस वक्त बेनीपुरी को खटिया पर लिटाकर वहां लाया गया था.
रामवृक्ष बेनीपुरी की बेटी प्रभा बेनीपुरी का रिश्ता जयप्रकाश नारायण ने तय किया था. एक दिन रामवृक्ष बेनीपुरी ने जेपी को कहा कि प्रभा के लिए लड़का देखना होगा, आप देखिए तो जेपी ने कहा कि लड़का को तो तुम जानते ही हो, बात करो. जेपी ने रामवृक्ष बेनीपुरी को महंत श्याम सुंदर दास के बारे में बताया, तो बेनीपुरी ने कहा कि उनकी जमींदारी में तो हमारे ससुराल के सभी लोग मुलाजिम हैं. तुम ही बात करो.
जेपी ने महंत श्याम सुंदर दास को पटना बुलाया और कहा कि बेनीपुरी की बेटी से तुम्हारा रिश्ता तय कर दिया है. तुम्हें कुछ कहना है. श्याम सुंदर दास ने इस बात को सहर्ष स्वीकार कर लिया. हालांकि उस दौरान सीतामढ़ी के सांसद चंद्रेश्वर नारायण प्रसाद सिंह अपनी बेटी के रिश्ते के लिए भी श्याम सुंदर दास के पिता के पास पहुंचे थे. लेकिन श्याम सुंदर दास ने कहा कि मैंने जेपी को वचन दिया है, शादी होगी तो प्रभा बेनीपुरी से अन्यथा शादी नहीं करूंगा.
बात 1956 की है. रामवृक्ष बेनीपुरी अपनी बेटी प्रभा बेनीपुरी की शादी का कार्ड देने नाटय सम्राट पृथ्वीराज कपूर के घर मुंबई गये थे. उसी दिन राज कपूर की फिल्म ‘चोरी-चोरी’ का प्रीमियर हुआ था. राजकपूर की आदत थी कि वे अपनी फिल्म के पहले शो की कमाई अपने पिता पृथ्वीराज कपूर को सौंपते थे. उस वक्त उनके पास उस जमाने में करीब 15 हजार रुपये थे, जिसे पृथ्वीराज कपूर ने बेटी के नेग के तौर पर रामवृक्ष बेनीपुरी को सौंप दिया था. उनके नाती राजीव रंजन कहते हैं कि मां ने यह किस्सा सुनाया था. मां ने बताया था कि उनकी शादी के लिए रिश्ता जेपी ने ही तय कराया था.