कलकत्ता हाईकोर्ट के आरक्षण वाले फैसले पर RJD और बिहार BJP के नेता क्या बोले? जानिए किसपर बरसे..

कलकत्ता हाईकोर्ट के आरक्षण वाले फैसले पर राजद और बिहार भाजपा के नेताओं ने जानिए क्या प्रतिक्रिया दी.

By ThakurShaktilochan Sandilya | May 23, 2024 4:26 PM
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लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया. अदालत ने वर्ष 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को भी रद्द कर दिया. राज्य में ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया को भी असंवैधानिक बताते हुए तीन दर्जन से अधिक वर्गों को दिए गए ओबीसी आरक्षण को रद्द किया गया. हालांकि इसका लाभ ले चुके लोगों की नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगा. वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले से देशभर में सियासी माहौल गरम है. बिहार के भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

मनोज झा पीएम मोदी और अमित शाह पर बरसे..

बंगाल हाईकोर्ट के फैसले पर राजद के नेता मनोज झा ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि एक श्रेणी के बारे में चर्चा हो रही है. जो मीडिया में चल रहा है ऐसा कुछ नहीं है. पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर उन्होंने निशाना साधा और कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट आप पढ़ें. उसमें गैर हिंदू समुदायों में किस आधार पर आरक्षण है? मनोज झा ने कहा कि हज्जाम अगर हिंदू है, हज्जाम अगर मुस्लिम है तो दोनों को आरक्षण है, कारण सामाजिक शैक्षणिक है. राजद सांसद ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि ट्विस्ट मत करिए. ये अगर हिंदू-मुसलमान नहीं करें तो ये पंचायत स्तर का भी चुनाव नहीं जीत सकते.

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शाहनवाज हुसैन ममता बनर्जी पर बरसे..

भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर कहा कि मंडल कमीशन में जो जातियां शामिल थी उसका हमने कभी विरोध नहीं किया. लेकिन जब से ममता बनर्जी आई हैं तब से पिछड़ों का हक मारने के लिए मुस्लिम समाज की करीब सारी जातियों को पिछड़ा बना दे रही हैं.उसी को हाईकोर्ट ने खारिज किया है. शाहनवाज हुसैन ने कहा कि इस देश में भाजपा पहले ही सवाल उठायी है कि धर्म के नाम पर संविधान में आरक्षण का प्रावधान नहीं है. लेकिन जो मंडल कमीशन में पिछड़े व पशमांदा मुस्लिम हैं उन्हें पहले से आरक्षण है. पर अलग से कोटा बनाकर 4% आंध्र, कर्नाटक , तेलांगना में दे दिया. उसी तरह ममता जी ने बैकवर्ड लिस्ट में सारे मुस्लिम को शामिल कर लिया. जो गलत है. इसी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. हम भी चाहेंगे कि पिछड़ों का हक नहीं मारे.

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