पटना. बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भाजपा और जदयू के बीच मतभेद गहरे होते जा रहे हैं. गुरुवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने साफ शब्दों में कह दिया कि उनकी पार्टी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सीएम नीतीश कुमार के फार्मूले से इत्तेफाक नहीं रखती है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार चाहे जो कहें, लेकिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से जनसंख्या नियंत्रण का हल नहीं निकलेगा.
जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए सरकार को योजना बनाकर कम बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना होगा. हालांकि सीएम नीतीश कुमार का मानना है कि लड़कियों की शिक्षा से जनसंख्या नियंत्रण संभव है. संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार विकास कर रहा है, बावजूद हम फिसड्डी हैं. इसके पीछे एक बड़ा कारण बिहार का जनसंख्या घनत्व है.
संजय जायसवाल ने जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सोशल मीडिया पर कहा है कि बेटियों को पढ़ाते रहने से जनसंख्या स्थिरीकरण की दलील सही नहीं है. संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार की राय को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि भारत की आबादी 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. सिर्फ 10 साल पहले यह 382 थी. वहीं बिहार की आबादी 1224 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. हम भारत से भी 3 गुना ज्यादा हैं.
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अब हाथ पर हाथ धरकर बैठने से इसका निदान नहीं निकलेगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने देश में पहली बार बालिका साइकिल योजना चलायी थी. मुझे याद है कि उस समय मैं किसी छोटी बच्ची से पूछता था कि तुम्हें क्या करना है, तो उसका जवाब रहता था कि मैं नौवीं कक्षा में पढ़ना चाहती हूं, जिससे मुझे साइकिल मिल सके. आज उसी बालिका साइकिल योजना का परिणाम है कि बालिका शिक्षा की उन्नति में 2 पीढ़ियों का लगने वाला समय महज 2 वर्षों में आ गया है.
उन्होंने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए भी इसी प्रकार योजना बनाकर कम बच्चे वालों को हमें प्रोत्साहित करना होगा. बेतिया सांसद ने कहा कि जैसे जब हम 6000 रुपये पहले दो बच्चे पैदा करने के लिए दे सकते हैं, तो 1 बच्चे वाले को भी हम एक बड़ी आर्थिक सहायता के साथ पूरे परिवार का बीमा और बिहार के हर स्कूल में पहला एडमिशन देने के अधिकार जैसी प्रोत्साहन योजनाएं चलाकर लक्ष्य तेजी से हासिल कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि जहां भारत ने जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त कर लिया है, लेकिन हम आज भी 3 गुना रफ्तार पकड़े हुए हैं और इसे रोकने की कोई योजना नहीं बना रहे. बिहार में जितने नये अस्पताल और स्कूल बनते हैं उससे ज्यादा बच्चे हम पैदा कर लेते हैं. हम इतना विकास करने के बाद भी केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण फिसड्डी दिखते हैं.
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