राजेश कुमार ओझा
पटना. सरकार को लेकर नीतीश कुमार (nitish kumar) और तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के बीच बातचीत तो बहुत पहले से चल रही थी. लेकिन, नीतीश कुमार कांग्रेस को विश्वास में लेकर ही कोई फैसला करना चाह रहे थे. यही कारण था कि नीतीश कुमार सोनिया गांधी (sonia gandhi)के फोन आने के बाद ही अपना अन्तिम फैसला लिया. नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद से इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारे में तेजी से चलने लगी है. कांग्रेस विधायक प्रतिभा दास ने भी इसकी पुष्टी करते हुए कहा कि सोनिया गांधी की मध्यस्थता के बाद ही बिहार में महागठबंधन की सरकार बन रही है.
राजनीतिक गलियारे में चल रही चर्चाओं की माने तो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच सरकार को लेकर तो काफी समय से बात चल रही थी. करीब हर मुद्दे पर बातचीत भी हो गई थी. लालू प्रसाद की ओर से भी हरी झंडी थी. लेकिन, मामला कांग्रेस को लेकर फंसा था. सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार कांग्रेस के बिना सहमति के सरकार बनाने को तैयार नहीं थे. सूत्रों का कहना है इस बीच सोनिया गांधी ने उनका हाल चाल लेने के लिए फोन किया. बातचीत के क्रम में नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पड़ रहे दबाव की भी चर्चा किया.
इसके साथ ही कहा कि भाजपा उनकी पार्टी तोड़ना चाहती है. तब कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार को राहुल गांधी से बात करने के लिए कहा था. इसके बाद नीतीश कुमार और राहुल गांधी की बात हुई. फिर इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने भी राहुल गांधी से बात कर पूरी पटकथा लिख दी. कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी के ही कहने पर स्वतंत्रता आंदोलन की 9 अगस्त की तारीख का दिन चुना गया और 9 को सुबह 11 बजे के आसपास ऐलान किया गया कि बिहार में खेला हो गया है.