राजेश कुमार ओझा
बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया है. वैसे तो मोहन यादव भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उज्जैन दक्षिणी से बीजेपी के विधायक हैं. संघ से उनका पुराना रिश्ता रहा है. लेकिन, बीजेपी ने मोहन यादव को प्रदेश का सीएम बनाकर बिहार और यूपी में सियासी हलचलें बढ़ा दी है. इसके साथ ही जातीय जनगणना के बहाने ओबीसी वोट बैंक को साध रहे सियासी दलों की रणनीति को भी चौपट करने का प्रयास किया है.
बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर एक साथ कई निशाने साधा है. सबसे पहले तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के ओबीसी वाले मुद्दे को कुंद करने की कोशिश की है. इसके साथ ही जातीय जनगणना के बहाने ओबीसी वोट बैंक को साधने की सियासी दलों की रणनीति को भी बीजेपी ने चौपट करने का प्रयास किया है. बीजेपी ने इसके साथ ही लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी यह दांव खेला है. कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में लगभग 50 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं. बीजेपी ने 68 ओबीसी नेताओं को टिकट दिए थे, जिसमें से 44 जीत कर आए हैं. इसी तरह कांग्रेस ने 59 ओबीसी नेताओं को टिकट दिए थे, लेकिन, मात्र 16 के हिस्से ही जीत आई है. इसी प्रकार प्रदेश की 72 सीटों पर ओबीसी आबादी 40 फीसदी से ज्यादा है . बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में इनमें से 50 में जीत हासिल की है. यह 72 विधानसभा सीटें प्रदेश के 20 लोकसभा क्षेत्रों में आती है. बीजेपी इसे भी साधने का प्रयास कर रही है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेपी का यह फैसला उसके लिए लाभ का सौदा हो सकता है. ओबीसी मुख्यमंत्री का दांव का लाभ बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिल सकती है.
बीजेपी ने इसके साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव वोट बैंक के धुरंधरों को भी अपने इस फैसले से संदेश देने की कोशिश की है कि इस वोटबैंक पर केवल आपका ही अधिकार नहीं है. हमारे पास भी यादव नेता हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव वोटबैंक के सबसे बड़े दावेदार लालू यादव और अखिलेश यादव हैं. इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 120 सीटें हैं. केंद्र की सरकार के लिहाज से ये काफी मायने रखती हैं. इन दोनों राज्यों में ज्यादातर यादव वोट लालू यादव और अखिलेश यादव की पार्टियों को मिलते हैं. आप कह सकते हैं कि इन दोनों राज्यों के यादव वोटरों पर लालू और अखिलेश यादव का ही एकछत्र राज है. इन्हीं यादव वोटरों की बदौलत दोनों ही राज्यों में दोनों नेताओं की सियासत चलती है.
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बिहार में हुए हालिया कास्ट सर्वे में सबसे ज्यादा आबादी वाली जाति यादव ही है. लिहाजा, बिहार में वोटों के लिहाज से इनका महत्व बढ़ जाता है. बीजेपी ने मोहन यादव के सहारे बिहार में भी एक राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया है. बीजेपी बिहार- यूपी के वोटरों से इनके सहारे ही अपना संवाद बढ़ाना चाहेंगे.