लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी सभी दलों ने तेज कर दी है. विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक दिल्ली में संपन्न हुई है और अब विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर मंथन शुरू होगा. वहीं बिहार में इसबार सियासी समीकरण बदले हुए हैं. जदयू इसबार भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा राज्य की 17 लोकसभा सीटों पर दमखम वाले उम्मीदवारों की तलाश में है. ये 17 सीटें वे हैं जहां पिछली दफा 2019 में 16 पर जदयू के उम्मीदवार चुनाव जीते थे.
झंझारपुर, वाल्मीकीनगर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, काराकाट, किशनगंज, जहानाबाद और गया लोकसभा सीट पर पिछली दफा एनडीए में जदयू के उम्मीदवार रहे थे. किशनगंज की सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के भीतर दाे बड़े दल जदयू और भाजपा के बीच 17-17 सीटों का बंटवारा हुआ था. यानी जदयू को 17 और भाजपा के उम्मीदवार 17 सीटों पर चुनाव लड़े थे. बाकी की छह सीटें लोजपा को दी गयी थीं.
इस बार जदयू एनडीए से बाहर होकर इंडिया गठबंधन का प्रमुख घटक दल है. इसके कारण जदयू कोटे की सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मुंगेर,सासाराम और पटना साहिब की सीट पर जदयू और कांग्रेस आमने-सामने रही थी. इस बार दोनों ही दल एक ही गठबंधन में शामिल हैं.
Also Read: पटना के गांधी मैदान में 30 जनवरी को होगी I-N-D-I-A की पहली रैली, जानिए विपक्ष ने इस दिन को क्यों चुना?
पिछली बार यानी लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को राज्य की 40 में 17 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जीती हुई 17 सीटों के माैजूदा सांसदों के इतर जदयू कोटे की सीटों पर कई उम्मीदवार टिकट के दावेदार हैं. सीतामढ़ी की सीट पर जदयू ने पिछली बार भाजपा से आये सुनील कुमार पिंटू को उम्मीदवार बनाया था. पिंटू ने जाति गणना में अपनी जाति को लेकर सवाल उठाया है. जदयू इसे अनुशासनहीनता मान कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने को तैयार है. दूसरी ओर भाजपा हर हाल में इस सीट पर अपनी जीत चाह रही है. इसी प्रकार झंझारपुर, वाल्मीकीनगर, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा और गया की सीट पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव लड़ते रहे हैं. भाजपा इस बार इन सभी सीटों पर उम्मीदवार की तलाश में है.
ऐसी संभावना है कि गया की सीट पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को मिल सकती है. वहीं जमुई, नवादा,खगड़िया, हाजीपुर और वैशाली में लोजपा पिछली बार चुनाव लड़ी थी. इस बार भी लोजपा को छह सीटें मिल सकती हैं. हम के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी एनडीए में शामिल है. उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद की पसंद काराकाट समेत और भी सीटें हो सकती हैं. मिथिलांचल की झंझारपुर की सीट पर 2014 में भाजपा के वीरेंद्र कुमार चौधरी यहां से सांसद रहे थे. 2019 के चुनाव में यह सीट जदयू के खाते में चली गयी. इस बार भाजपा के कई नेता इस सीट के दावेदार हैं. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सभा भी झंझारपुर में हो चुकी है. वाल्मीकीनगर लोकसभा सीट की भी यही कहानी है. 2014 में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में सियासी माहौल बन चुका है. भाजपा इसबार बिहार में 40 सीटों को जीतने के उद्देश्य से तैयारी में जुटी है. इस बार नीतीश कुमार विरोधी खेमे के साथ हैं. इंडिया गठबंधन में अब सीट शेयरिंग पर बात शुरू होने वाली है. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी अपनी तैयारी तेज की है. पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. वहीं हाल में ही भाजपा ने तीन हिंदी भाषी राज्याें में चुनाव जीतकर अपनी सरकार बनायी है. जिससे बीजेपी के हौसले बुलंद दिख रहे हैं.