पटना: भाजपा के पूर्व विधायक सह प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बयान असंवेदनहीन है. छपरा जहरीली शराबकांड में मरने वाले लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है, लेकिन सरकार बस यह रिपोर्ट जुटाने लगी है कि भाजपा शासित राज्यों में कितनी मृत्यु हुई है.
बीजेपी नेता ने आगे कहा कि सत्तारूढ़ दल माले, सीपीआइ, सीपीएम के विधायक सरकार से मृतक परिजनों के मुआवजा के लिए मांग कर रहे हैं, जबकि तेजस्वी यादव आंगन में लगी आग को बुझाने के लिए पानी की तलाश में गुजरात चले गये हैं.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बीते दिनों कहा था कि शराबबंदी खत्म करना है तो भाजपा के लोग खुलकर बोले. भाजपा के कथनी और करनी में फर्क है. शराबबंदी से सबसे ज्यादा मौत भाजपा शासित राज्यों में ही हुई है. लेकिन यहां भाजपा 5 दिन के विधानसभा सत्र के दौरान जनता के मुद्दों की बात नहीं कही. सिर्फ मुआवजा मुआवजा…
बता दें कि बिहार में अभी शराब के मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है. छपरा में अभी तक जहरीली शराब से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसको लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है और आरोप लगा रहा है. वहीं, इन सब के बीच शराबियों के मरने पर मुआवजा को लेकर अब बहस शुरू हो गई है. हालांकि सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सदन में भी ये स्पष्ट कर चुके हैं कि ऐसे मामलों में कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. इसी बात को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावार है.
सीएम नीतीश कुमार पहले भी कई बार शराब से मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिए जाने की बात कह चुके हैं. नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में 2016 से शराबबंदी है. ऐसे में शराब बेचना और पीना दोनों बिहार में अपराध है, जो पिएगा वो तो मरेगा ही, ये तो एक उदाहरण है.
गौरतलब है कि बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद सूबे में जहरीली शराब का कहर नहीं थम रहा है. 6 साल में अब तक 202 लोगों की जहीरीली शराब पीने की वजह से मौत हो चुकी है. बिहार में जहीरीली शराब पीने की वजह से सबसे ज्यादा 2021 में 90 मौतें हुई थी. राज्य में 2020 में, 2019 में 9, 2018 में 9, 2017 में 8 और 2016 में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2022 में अब तक 67 लोग जहरीली शराब पीने की वजह से मारे गए हैं. अधिकांश मौतें गोपालगंज, छपरा, बेतिया और मुजफ्फरपुर जिले में हुई है.