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बिहार के इस शहर पर छा रहा ब्लैक कार्बन, लोगों के फेफड़े के लिए बन रहा गंभीर खतरा

24 घंटा निकल रहा जहरीला धुआं हवा को ही नहीं, बल्कि लोगों को भी बीमार बना रहा है. वायुमंडल में ब्लैक कार्बन के कणों की संख्या बढ़ती जा रही है. सुबह-शाम इसकी अधिकता के चलते वायुमंडल में यह ब्लैक कार्बन ''काला जहर'' बनकर उड़ रहा है.

गोपालगंज. थावे- गोपालगंज बाइपास पर बने हाइवे के किनारे बगैर हाइवे से परमिशन लिये नगर परिषद शहर के लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है. हाइवे की रेलिंग को तोड़कर हाइवे के किनारे कचरा गिराया जा रहा हैं. उसमें आग लगा दी गयी है. इससे 24 घंटा निकल रहा जहरीला धुआं हवा को ही नहीं, बल्कि लोगों को भी बीमार बना रहा है. वायुमंडल में ब्लैक कार्बन के कणों की संख्या बढ़ती जा रही है. सुबह-शाम इसकी अधिकता के चलते वायुमंडल में यह ब्लैक कार्बन ”काला जहर” बनकर उड़ रहा है.

बढ़ रही हैं सांस की बीमारी होने की आशंका

खुली आंखों से यह दिखाई नहीं देता, मगर खामोशी से आपकी सेहत पर कहर बरपाता है. पता तब लगता है, जब आपको सांस और दमा की गंभीर बीमारी जकड़ लेती है. आंतों का संक्रमण आपकी सेहत को एकदम तहस-नहस कर डालता है. इसलिए सुबह-शाम सजगता जरूरी है, वरना यह काला जहर सेहत को झटका दे देगा. नगर पर्षद के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है. अभी दीपावली की आतिशबाजी भी बाकी है.

वाहनों से फैल रहा 60 फीसदी ब्लैक कार्बन

कमला राय कॉलेज के रसायन विभाग के प्रो डॉ सतीश चंद्र शंकरम ने बताया कि वायुमंडल में फैले ब्लैक कार्बन का दो तरीके से अल्ट्रा वायलेट और इन्फ्रा रेड के माध्यम से जांच करता है. अल्ट्रा वायलेट बॉयोमॉस यानी पराली और अन्य आग से निकले धुएं से वायुमंडल में फैले ब्लैक कार्बन की जांच करता है, जबकि इन्फ्रा रेड के माध्यम से डीजल-पेट्रोल से निकलने वाले धुएं यानी वाहन और जेनेरेटर का धुआं शामिल है. जांच से पता चला है कि वायुमंडल में फैले ब्लैक कार्बन में डीजल-पेट्रोल से 60 फीसदी और आग से निकले धुएं से 40 फीसदी कण शामिल हैं

किसान धान कटनी के बाद खेतों में पराली को जला रहे

ब्लैक कार्बन के बढ़ने की प्रमुख वजह गाड़ियों और जेनेरेटर से निकलने वाला धुआं तो है ही, दूसरा पहलू है कि किसान धान कटनी के बाद खेतों में पराली को जला रहे हैं. उससे भी प्रदूषण फैल रहा है. हवा के साथ वहां की पराली से फैले ब्लैक कार्बन के कण यहां तक आते हैं. ब्लैक कार्बन के कण सात से 15 दिन वायुमंडल में बने रहते हैं. ऐसे में घर से बाहर निकलने वाले लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. खास तौर पर दमा और सांस के मरीजों को सतर्कता बरतनी चाहिए.

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सुबह और शाम बढ़ जा रहे ब्लैक कार्बन के कण

शहर में प्रतिदिन सुबह और शाम को वायुमंडल में ब्लैक कार्बन के कण बढ़ जा रहे हैं. ट्रैफिक की वजह से सुबह करीब 9 से 11 बजे तक वायुमंडल में इसके कण की संख्या 8 से 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पहुंच जा रही है. उसके बाद दिन में यह आंकड़ा औसत रह रहा है. फिर शाम को 7 से रात 11 बजे तक वायुमंडल में इसकी अधिकता रह रही है. मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि हिमालय से टकराकर हवा पश्चिम से पाकिस्तान, साइबेरिया, अफगानिस्तान, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा यूपी होकर उत्तर बिहार होते हुए पूरब की तरफ कोलकाता से बंगाल की खाड़ी में चला जाता है.

मौसमवार वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की स्थिति

मौसम ब्लैक कार्बन

  • ग्रीष्म ऋतु 8 से 10 माइक्रोग्राम प्रति मीटर

  • वर्षा ऋतु 4 से 6 माइक्रोग्राम प्रति मीटर

  • वर्षा ऋतु के बाद 12 से 14 माइक्रोग्राम प्रति मीटर

  • शीत ऋतु 18 से 22 माइक्रोग्राम प्रति मीटर

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