पटना. पटना समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर मंद पड़ते ही ब्लैक फंगस ने रफ्तार पकड़ ली है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एम्स और एनएमसीएच में रोजाना औसतन 20 से 25 नये रोगी भर्ती हो रहे हैं, जबकि करीब 50 सामान्य फंगस के मरीज रोजाना संबंधित अस्पतालों के ओपीडी में इलाज को आते हैं, जिन्हें दवा देकर घर भेज दिया जाता है.
इससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ रही है. खासकर महामारी की दूसरी लहर में जिन जिलों में ज्यादा संक्रमित मिले हैं, वहां से ब्लैक फंगस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. पटना में अब तक करीब 85 ब्लैक फंगस के मरीजों की मौत हो गयी है. वहीं, कोरोना की बात करें, तो रोजाना 10 से 15 मरीज ही भर्ती हो रहे हैं.
शहर में ब्लैक फंगस के मरीजों की मौत व भर्ती होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व एम्स में रोजाना मरीजों की मौत हो रही है. मंगलवार को शहर के तीन आइजीआइएमएस, पीएमसीएच व एम्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 16 नये मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई, जबकि पीएमसीएच में बेगूसराय जिले की निवासी 45 वर्षीय आरती देवी की मौत हो गयी.
इसके अलावा एम्स व आइजीआइएमएस में भी एक-एक सहित कुल तीन मरीजों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. वहीं, पीएमसीएच में एक, आइजीआइएमएस में पांच और एम्स में 10 कुल 16 मरीज को भर्ती किया गया, जबकि नौ मरीजों ने फंगस को मात दी है. इसके बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया.
पीएमसीएच में कुल 23 मरीज फंगस वार्ड में भर्ती हैं, जबकि आइजीआइएमएस में 120 मरीज भर्ती हैं, इनमें 110 कोरोना निगेटिव हैं और 10 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं. तीनों अस्पताल मिलाकर कुल 11 मरीजों का ऑपरेशन किया गया.
ब्लैक फंगस के बढ़ते खतरे को देखते हुए शहर के चारों मेडिकल कॉलेजों में करीब 250 बेड रिजर्व किये गये हैं, जिनमें फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इनमें सबसे अधिक 100 बेड आइजीआइएमएस, 70 पीएमसीएच, एम्स में 65 बेड हैं. लेकिन तीनों ही अस्पतालों में 10 दिन पहले बेड फुल हो गये.
नतीजतन अस्पताल प्रशासन की ओर से बैठक कर अतिरिक्त बेड बढाये गये. 210 मरीजों का इलाज चारों मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में चल रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से प्रदेश के अन्य जिलों के सभी जिला व मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षकों को हिदायत दी गयी है कि फंगस से संबंधित कोई केस मिलते ही उसे पीएमसीएच, एम्स, एनएमसीएच व आइजीआइएमएस में रेफर किया जाये.
निजी अस्पतालों को भी ऐसा कोई केस आने पर इसकी सूचना तुरंत सिविल सर्जन को देनी होगी, ताकि उसका मेडिकल कॉलेज में इलाज शुरू कराया जा सके.
Posted by Ashish Jha