पटना. थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर, हीमोफीलिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब शहर के आइजीआइएमएस में 30 से 45 मिनट के अंदर खून मिलेगा. फेनोटाइप तकनीक से परखा हुआ खून मरीजों को तुरंत उपलब्ध करा दिया जायेगा. अभी जिन मरीजों को अक्सर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, उनमें एंटीबायोटिक की अधिकता की वजह से करीब सात घंटे बाद खून मिल पाता है. इसकी वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि संस्थान के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में रोजाना 300 से अधिक यूनिट खून की खपत है. ब्लड बैंक में 2500 से 3000 यूनिट खून व उसके अव्यय का स्टॉक रहता है.
डॉक्टरों के मुताबिक थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर, हीमोफीलिया, किडनी समेत दूसरी बीमारी से पीड़ितों को अक्सर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. बार-बार खून चढ़ाने से मरीज में करीब 50 से 60 तरह की एंटीबॉडी बन जाती है. ऐसे में मरीज को खून जारी करने में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है. बड़े पैमाने पर शरीर में पनपी एंटीबॉडी के हिसाब से खून जारी किया जाता है. जारी खून को मरीज के शरीर में बहुत ही सावधानी से चढ़ाया जाता है.
डॉक्टरों के मुताबिक एंटीबॉडी की अधिकता से खून की मिलान यानी क्रॉसमैच करने में अड़चन आती है. हालत यह है कि एक यूनिट के लिए 40 से 50 खून के पैकेट की जांच करनी पड़ रही है. मुश्किल से मरीज को खून मिल पा रहा है. मरीजों की सहूलियतों के लिए फेनोटाइप जांच की सुविधा शुरू की गयी है. हर यूनिट की फेनोटाइप जांच की जा रही है. इससे कंप्यूटर में फीड किया जाता है. इसमें खून की यूनिट एंटीबॉडी का भी जिक्र किया जाता है. ताकि उस यूनिट से मेल खाता किसी जरूरतमंद मरीज का नमूना आये, तो कंप्यूटर की मदद से उसका आसानी से क्रॉसमैच कराया जा सकता है. इसमें मात्र 20 मिनट का समय लगता है.
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