पटना. खून की कमी के कारण पटना सहित पूरे बिहार में थैलेसीमिया व ब्लड कैंसर के मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. मरीजों को समय पर खून नहीं मिलने से कई मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं. ऐसे मरीजों की परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के पास शिकायत की है, जिसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति के स्टेट प्रोग्राम ब्लड सेल की ओर से जांच करायी गयी. इसमें पता चला है कि पटना के अलावा अलग-अलग जिलों में संचालित करीब 65 ऐसे प्राइवेट ब्लड सेंटर है, जो आज तक ब्लड कैंसर व थैलेसीमिया के एक भी मरीज को खून नहीं दिया है. इसको देखते हुए सेल ने संबंधित ब्लड सेंटर को रडार पर लेते हुए लिस्ट बनाना शुरू कर दिया है.
बताया जा रहा है कि रडार पर लिये गये सभी ब्लड सेंटरों की जांच करायी जायेगी, अगर मामला सही पाया गया, तो नियमानुसार कार्रवाई भी होगी. मालूम हो कि ब्लड कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों को नि:शुल्क ब्लड देने का नियम है.
जिले में करीब 500 से अधिक थैलेसीमिया के मरीज इलाज करा रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा पीड़ित बच्चे हैं. एक व्यक्ति को हर महीने एक यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें एक बार में दो यूनिट की जरूरत पड़ती है. खासकर बच्चों की संख्या इसमें अधिक होती है. कमोबेश यही स्थिति ब्लड कैंसर के मरीजों के साथ देखने को मिल रही है.
ब्लड कैंसर हमारे ब्लड सेल्स के फंक्शन और प्रोडक्शन की प्रकिया को प्रभावित करता है. ब्लड कैंसर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं, जिन्हें ल्यूकीमिया, लिंफोमा और मल्टीपल माइलोमा कहते हैं. इसी तरह थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रोग है. माता अथवा पिता या दोनों के जीन में गड़बड़ी के कारण होता हैं. सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलेसीमिया में इनकी उम्र सिमटकर सिर्फ 20 दिनों की हो जाती है. इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है. हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है और अशक्त होकर हमेशा किसी-न-किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है.
स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर ब्लड सेल राज्य स्वास्थ्य समिति के डॉ एनके गुप्ता ने बताया कि ब्लड कैंसर व थैलेसीमिया के मरीजों को सरकारी व प्राइवेट ब्लड सेंटरों से नि:शुल्क खून देना है. लेकिन, शिकायत आयी है कि करीब 65 ब्लड सेंटर हैं, जो ऐसे मरीज को खून नहीं दे रहे हैं. इसके मद्देनजर संबंधित ब्लड सेंटरों की जांच करायी जा रही है. जांच में सही पाया गया, तो नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.