बिहार में नाव हादसा: जब तेज धार में काल से लड़ती रहीं छात्राएं, बेहोश हुई मां और छूट गया मासूम बेटे का हाथ…
बिहार के मुजफ्फरपुर में बागमती नदी में नाव पलट जाने से करीब 32 लोग डूब गए. गुरुवार को हुए इस हादसें में कई लोगों की जान बचायी गयी लेकिन दर्जन भर लोग लापता भी हैं. इस नाव पर अधिक संख्या में बच्चे सवार थे. जानिए कैसे अपनी जान बचाई..
Bihar Boat Accident: मुजफ्फरपुर के गायघाट प्रखंड के भटगामा घाट पर बागमती नदी में गुरुवार की सुबह 10:20 बजे एक नाव पलट गयी. इस नाव पर 32 लोग सवार थे. जिनमें 20 लोगों को बचा लिया गया जबकि 12 लोग लापता ही हैं. इस हादसे में डूबे हुए कई लोगों ने किसी तरह खुद को बचाया और स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की. खुद जान की बाजी लगाकर नदी में उतर गए.
गुड़िया और रूपा ने नहीं हारी हिम्मत
नाव पलटने के बाद उसमें सवार 10 वीं की छात्रा गुड़िया व नौवीं की छात्रा रूपा ने हिम्मत और दिलेरी का परिचय देते हुए अपनी जान खुद बचा ली. गुड़िया ने बताया कि जब नाव पलटी तो वह भी नदी में गिर गयी. लेकिन, नाव को नहीं छोड़ी. नाव के सहारे वह व उसकी साथी रूपा धीरे- धीरे साइड में आयी. फिर, तैरकर किनारे निकल आयी. नदी से बाहर आने के बाद रूपा का कहना था कि वह कैसे जिंदा बची, खुद पर यकीन नहीं है. उसके आंख के सामने उसकी सहेलियां नदी में डूबती चली गयी. और वह कुछ नहीं कर पायी. रूपा आगे कहती है कि तेज धार में जाने के बाद भी वह हिम्मत नहीं छोड़ रही थी. बस एक ही जिद थी कि जिंदा बाहर निकलना है. गुड़िया का कहना है कि मेरा सपना है कि पढ़ लिखकर पुलिस बनूं. भगवान ने नयी जिंदगी दी है. अब खूब मेहनत करके अपने सपने को साकार करेंगे.
बेटी सुरक्षित बाहर निकली तो पिता ने तीन बच्चों की बचायी जान
मधुरपट्टी गांव के रहने वाले मुकेश यादव की बेटी अंकू कुमारी भी नाव में सवार थी. वह अपनी बेटी को नाव तक छोड़ने के बाद घाट के पास ही एक चापाकल पर नहा रहे थे. इस बीच नाव पलटने का शोर हुआ. वह दौड़ते हुए घाट पर पहुंचे. देखा कि उसकी बेटी खुद पानी में तैरकर बाहर निकल रही है. इस बीच वह पानी में कूद गया और डूब रहे तीन बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला.
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बेटा को बचाने के लिए बेहोश होने तक मौत से लड़ती रही नरगिस
मधुरपट्टी गांव की रहने वाली नरगिस प्रवीण अपने चार साल के मासूम बेटे मो. अजमत की जान बचाने के लिए दस मिनट तक बागमती की बीच धारा में मौत से लड़ती रही. नदी की तेज धारा के साथ वह पानी में बहती जा रही थी. लेकिन, अपने बेटे का हाथ नहीं छोड़ रही थी. अचानक उसका बाल पकड़ कर पीछे से उसको खींचा, इसके बाद वह बेहोश हो गयी और बेटे का हाथ छूट गया. इतना कहते ही नरगिस प्रवीण फफक- फफक कर रोने लगी. वह उस मनहूस घड़ी को कोस रही थी जब वह घर से राशन लेने के लिए निकली थी. उसने बताया कि वह अपनी ननद रौशनी प्रवीण के साथ गुरुवार की सुबह घर से निकली थी. उसका चार साल का बेटा मो. अजमत भी साथ चलने का जिद करने लगा. बेटे की जिद के आगे वह हार गयी. उसको यह कतई अनुमान नहीं था कि बागमती की धारा उसके बेटे को निगल लेगी. नरगिस ने बताया कि जब नाव नदी में पलटी तो उसका बेटा अजमत गोद में था. वह पानी में डूबने लगी तो उसका बेटा गोद से बाहर निकल गया. फिर, भी वह बेटे का हाथ नहीं छोड़ी. तेज धारा में जाने के बाद भी वह बेटे का हाथ पकड़े हुए थी. धीरे- धीरे उसकी हिम्मत टूट रही थी. इस बीच पीछे से दो लोग उसका बाल पकड़ कर खींचे. इसके बाद वह बेहोश हो गयी. होश आया तो वह बाहर थी. उसके मासूम बेटे का कुछ पता नहीं चल पाया. स्थानीय नाविकों ने नरगिस के साथ- साथ रौशनी प्रवीण को भी सुरक्षित बचा लिया.
मधुरपट्टी गांव में नहीं जला चूल्हा, हर तरफ मची थी चीख- पुकार
नाव हादसे के बाद मधुरपट्टी गांव में गुरुवार को ना दिन और ना ही रात में चूल्हा जला. पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. हर चौथे घर में चीख- पुकार मची हुई है. किसी की बेटी, किसी का बेटा तो किसी की मां डूबी हुई है. पीड़ित परिवार नदी किनारे रत जग्गा कर रहे हैं. कहीं, उसके परिवार के डूबे सदस्य का कुछ पता चल पाए.