Loading election data...

मिथिला में पहली बार किया गया शरीर दान, समाज को संदेश दे गयीं लक्ष्मीसागर की वसुधा

मरणोपरांत शरीर दान कर लक्ष्मीसागर निवासी वसुधा अमरत्व को प्राप्त कर ली. मिथिला में पहली बार किसी ने शरीर दान किया है. परंपरा के विरूद्ध जाकर जनकल्याण को लेकर वसुधा के शरीर दान के निर्णय को चिकित्सकों व बुद्धिजीवियों ने नमन किया.

By Prabhat Khabar News Desk | March 31, 2021 12:24 PM

दरभंगा. मरणोपरांत शरीर दान कर लक्ष्मीसागर निवासी वसुधा अमरत्व को प्राप्त कर ली. मिथिला में पहली बार किसी ने शरीर दान किया है. परंपरा के विरूद्ध जाकर जनकल्याण को लेकर वसुधा के शरीर दान के निर्णय को चिकित्सकों व बुद्धिजीवियों ने नमन किया.

शनिवार की सुबह करीब नौ बजे बुजुर्ग महिला ने देह त्याग की. शरीर दान की प्रक्रिया पूरी करने को लेकर पति प्रणव ठाकुर ने दधीचि देहदान समिति के महासचिव पद्मश्री विमल जैन से संपर्क किया. नेत्रदान की प्रक्रिया को लेकर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के नेत्र अधिकोष की टीम विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा के निर्देश पर यहां पहुंची.

दोपहर दो बजे लक्ष्मीसागर आवास पर नेत्र जमा करने की प्रक्रिया पूरी की गयी. अगले दिन दोनों पुत्री व गांव के लोगों के पहुंचने पर शव को दरभंगा मेडिकल कॉलेज के एनाटोमी विभाग ले जाया गया. दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ केएन मिश्रा, अधीक्षक डॉ मणिभूषण शर्मा, दधीचि देहदान समिति की जिला को-ऑर्डिनेटर संगीता शाह व कई चिकित्सकों ने शव पर माल्यार्पण कर श्रद्धा निवेदित किये.

शव डीएमसीएच को दे दिया गया. मेडिकल छात्र व प्राध्यापक शव को पढ़ाई का पार्ट बनायेंगे. दधीचि देहदान समिति की ओर से जानकारी दी गयी कि पूरे बिहार में इसे मिलाकर कुल चार देहदान किये जा चुके हैं.

शमशान में लिया शरीर दान का संकल्प

मधुबनी जिला के जयनगर देवथा थाना के धमियापट्टी गांव निवासी प्रणय ठाकुर ने बताया कि पति-पत्नी ने 25 अक्तूबर 2018 को शरीर दान का निर्णय लिया. इसे लेकर संकल्प पत्र भरा. मेडिकल बच्चों की पढ़ाई में उनके शव का उपयोग हो इससे बढकर और बेहतर क्या हो सकता था.

पत्नी की आंखों से अब कोई अन्य व्यक्ति दुनिया देखेगा. कहा कि मरने के बाद शरीर का उपयोग दूसरों के हित के लिये किया जाय, इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है. बताया कि शमशान घाट पर चिंतन के बाद पति- पत्नी ने देहदान का संकल्प लिया था.

कहा कि शरीर दान के निर्णय को लेकर आसपास व गांव के लोग उनके साथ नहीं रहे. बावजूद वे नहीं डिगे. इससे उनको आंतरिक शांति की प्राप्ति हुई है. बताया कि उनकी दो पुत्री है. दोनों की शादी हो चुकी है. दोनों दामाद नेपाल में चिकित्सक हैं. प्रणय किसान हैं. अब तक उन्होंने 70 बार रक्तदान किया है.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version