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Chhath Special: घर से दूर छठ को मिस कर रहे बॉलीवुड के सितारें, कोई जुहू बीच पर करेगा पूजा तो कोई नहीं भूला…

Chhath Special: महापर्व छठ केवल त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति के संगम के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ाव का भी बोध कराता है.

Chhath Special: महापर्व छठ केवल त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति के संगम के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ाव का भी बोध कराता है. यह ऐसा पर्व है, जिसमें आम लोग हों या फिर सेलिब्रिटी…सभी इसे संपूर्ण समर्पण के साथ करते हैं. भोजपुरी स्टार्स के अलावा बॉलीवुड के कई सुपरस्टार्स भी धूमधाम से छठ पूजा मनाते हैं. इन एक्टर्स की लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है एक्टर पंकज त्रिपाठी का. उनका लोक आस्था का महापर्व छठ से खास लगाव है. यह पर्व प्रकृति और सूर्य के प्रति आस्था, श्रद्धा और कृतज्ञता का पर्व है. टीवी और सिनेमा से जुड़े बिहार के अभिनेता और अभिनेत्रियों ने बुधवार को प्रभात खबर के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ से खास लगाव पर विशेष बातचीत की. उर्मिला कोरी ने… 

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गांव के छठ को बहुत मिस करते हैं पंकज त्रिपाठी

छठ पूजा पर इस बार गांव नहीं जा पाऊंगा. मुंबई में ही रहूंगा, तो मुंबई के ही किसी घाट पर चला जाऊंगा. वैसे मैं छठ पर गांव में रहूं या ना रहूं, लेकिन छठ पर्व से मैं जुड़ा जरूर रहता हूं. मैं कहीं भी शूटिंग करूं, इस बात का पता लगा लेता हूं कि आसपास किसी घाट में कोई छठ पूजा का कार्यक्रम हो रहा है क्या? छठ एक सामाजिक त्योहार है. इसमें प्रकृति के साथ-साथ आपके आसपास लोगों की भी बहुत भूमिका होती है. किसी के खेत से गन्ना आता है, तो किसी के केले के पौधे से केला. यहां तो हर चीज बाजार से खरीदना पड़ता है. गांव में तो बहुत कम चीज बाजार से मंगाया जाता है. एक दूसरे से ही हम चीजें आपस में अदला बदली करते हैं. आप आज के समय में बाजार को त्योहार से अलग नहीं कर सकते हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि गांव में अभी भी बाजारवाद हावी नहीं हुआ है. छठ पूजा को ग्लोबल होते देख भी खुशी होती है. छठ पूजा का आयोजन सिर्फ पूर्वांचल में नहीं, अमेरिका और यूरोप में भी हो रहा है. मतलब साफ है कि लोग अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं. युवा छठ गीत बना रहे हैं, जिसे देखकर अच्छा लगता है.

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इस बार का छठ शारदा जी को याद करते जायेगा: राजेश कुमार

शूटिंग की व्यस्तता की वजह से इस बार पटना जाकर छठ परिवार और अपने लोगों के साथ नहीं मना पाऊंगा. छठ पर पटना नहीं जा पाता हूं, तो मुंबई में छठ पर शारदा जी के गीत सुनते हुए इससे जुड़ाव महसूस करता हूं. स्वर्गीय शारदा जी यह शब्द अपने आप में बहुत भारी है. कल जब से यह बात मालूम पड़ी है, मन बहुत दुखी हो गया है. विडंबना देखिए आठ साल पहले उसी डेट पर मैं उनसे मिला था. छठ पूजा का ही दिन था. छठ में उन्होंने अपने शरीर को त्यागा इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. छठ के दिन छठी मैया की बेटी उनकी गोद में समा गईं .इस बार का छठ शारदा जी को याद करते हुए जायेगा.

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  हम बिहारियों के लिए एक इमोशन है छठ: चन्दन रॉय

छठ पूजा हम बिहारियों के लिए एक इमोशन है. छठ की धुन सुनकर ही एक बिहारी इमोशनल हो जाता है. मेरे घर में पहले दादी ये व्रत करती थी. अब मां करती हैं. बचपन में दीवाली के तीन दिन पहले से ही छठ पूजा का मुझे इंतजार रहता था. आमतौर पर लोग कहते हैं, सावन में हरियाली आती है, लेकिन  हमारे गांव में छठ पूजा में हरियाली आती है. बिहार और झारखंड में पलायन की समस्या रही है.साल भर जो गांव वीरान से रहते थे.वह छठ में लोगों से भर जाता था.इस बार छठ पूजा को बहुत ज्यादा मिस करूंगा क्योंकि मैं शूटिंग में व्यस्त हूं. मां घर पर अकेली ही इस बार व्रत को करेगी, क्योंकि बहनों की भी शादी हो गयी है. भाई पढ़ाई की वजह से बाहर है और मैं पंचायत 4 की शूटिंग की वजह से नहीं जा पाऊंगा. हर बार हम सब साथ में होते थे ,तो बहुत अच्छा लगता था. मुझे पता है कि छठ के दिन मैं रोने वाला हूं. जो लोग छठ पर अपने घर नहीं जाते हैं. वो रोते ही हैं. मैं भी स्ट्रांग नहीं बनूंगा, बल्कि खुद को रोने दूंगा.

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ऋचा सोनी को बहुत पसंद है खरना की रस्म

मैं भले ही एक बंगाली परिवार से हूं, लेकिन मेरा दिल हमेशा बिहार से जुड़ा रहा है. मेरा जन्म और परवरिश बिहार में हुआ है और यहां की संस्कृति मेरी आत्मा का हिस्सा बन गयी है. बचपन में, छठ पूजा मेरे लिए एक साधारण त्योहार से कहीं बढ़कर था, यह वह समय था जब हर कोई मिलकर सूर्य भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए एकजुट होता था. मुझे आज भी याद है कि कैसे हमारा परिवार पड़ोसियों के साथ मिलकर डूबते सूरज को जल और दूध अर्पित करता था. उन खूबसूरत पलों में छठ, दिवाली के बाद एक नई खुशी की लहर लेकर आता था. जैसे ही दीवाली के दिए बुझते हैं, वैसे ही छठ की रोशनी से फिर से माहौल जगमगा उठता है. जैसे -जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे एहसास हुआ कि छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि प्रकृति और परमात्मा से जुड़ने का एक अद्भुत अनुभव है. लोगों का पूरी भक्ति और आस्था से उपवास रखना, सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा करना, बचपन में यह सब मेरे लिए बहुत अद्भुत था. इस व्रत का सबसे पसंदीदा हिस्सा मेरे लिए खरना की रस्म रही है जिसमें हम गुड़ की खीर और गरम-गरम पूरियां बनाते थे. उस स्वाद का अपना ही एक अनोखा जादू था.

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मुंबई में रहकर जुहू बीच पर छठ मनाएंगे गुरमीत

जैसा कि सभी को पता है कि बिहारी कहीं भी रहे, वह छठ पूजा से दूर नहीं रह सकता है, तो मेरे साथ भी यही है. बिहार अब जा नहीं पाता हूं, लेकिन छठ पूजा मुंबई में रहकर भी हर साल सेलिब्रेट करता हूं. अच्छी बात ये है कि मुंबई में भी इसका भव्य आयोजन होता है. हर साल की तरह इस साल भी मैं छठ पूजा पर अपने पूरे परिवार के साथ जुहू बीच जाऊंगा और सूरज भगवान को दूध और जल चढ़ाकर उनसे आशीर्वाद लूंगा. अपने बच्चों से भी सभी रस्में करवाऊंगा ताकि वह भी अपने कल्चर और उससे जुड़े त्यौहार से जुड़ सकें. छठ व्रतियों का आशीर्वाद लेकर उनसे ठकुआ मांगूंगा. बहुत ही खास फीलिंग होती है. सभी आपको अपने परिवार की तरह लगते हैं.छठ पूजा हमें प्रेम, विश्वास और परिवार की याद दिलाता है, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है. यह एक परंपरा है जो हमें भक्ति के धागे में बांधती है और दिलों को एक साथ लाती है.

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कचवनिया का स्वाद अब तक नहीं भूली नेहा शर्मा

मेरी नानी छठ पूजा करती थी लेकिन उम्र की वजह से नानी ने छठ पूजा करना बंद कर दिया तो कई सालो हो गए छठ पूजा हमारे घर में नहीं होती है, लेकिन इस पूजा से जुड़ी जो यादें हैं. वह ताउम्र मेरे साथ रहेगी. छठ पूजा से जुड़ी मेरे बचपन की ढेर सारी यादें हैं, जो इसे और ख़ास और कभी ना भूलने वाला बना देती हैं. हम दिवाली के तुरंत बाद ही नानी के घर छठ पूजा के लिए चले जाते थे. कई दिनों पहले से ही घर में रौनक बढ़ जाती थी. छठ पूजा के दिन हम सभी लोग साथ में घाट पर जाते थे. डूबते और उगते सूरज की सभी के साथ मिलकर पूजा करते थे. सुबह की  पूजा के बाद बहुत सारी चीजें खाने को मिलती थी, जो खासकर छठ पूजा के लिए बनायीं गयी होती हैं. चावल से मिठाई बनाती है कचवनिया. जो मुझे बहुत पसंद थी. मैं उसी पर टूट पड़ती थी. मुझे वह बहुत पसंद था. अभी भी उसका स्वाद जेहन में है.

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