बिहार के नौ मजदूराें काे सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के बीच निकालकर दिल्ली काेलकाता होते हुए गुरुवार को पटना एयरपाेर्ट लाया गया. पटना एयरपाेर्ट पर उतरने के बाद मजदूराें ने कहा कि वहां लगातार बम बरस रहे थे. चाराें ओर धमाके की आवाज हाे रही थी. अल्लाह और भगवान का नाम ले रह थे कि किसी तरह जान बच जाये और परिवार से मिले. जिंदा लाैटने की उम्मीद नहीं थी. परिवार वाले भी बहुत परेशान थे. वतन लाैटने के बाद इनके चेहरे पर मुस्कान दिखी.
जिन 9 लाेगाें काे पटना लाया गया, उनमें प्रशांत कुमार, दिलीप कुमार, राजकिशाेर, हारुन आलम, फैजाब खान, मिर्जा परवेज, वीरू पांडे, शाजिम अली उर्फ असलम शामिल हैं. इनमें परवेज दानापुर के नासरीगंज का है. सबाें ने भारत के सूडान में तैनात एंबेंसी व अन्य अधिकारियाें काे धन्यवाद कहा. सभी काे एयरपाेर्ट पहुंचने के बाद घराें तक भेज दिया गया.
सूडान से मजदूराें काे लिफ्ट कराके पहले दिल्ली लाया गया. उसके बाद दिल्ली से काेलकाता और काेलकाता से इंडिगाे की फ्लाइट से पटना लाया गया. भारत सरकार ने वहां फंसे भारतीयाें काे सुरक्षित लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू किया है. इस ऑपरेशन के तहत इन्हें पटना लाया गया. बिहार सरकार इनका सारा खर्च उठाने की बात कह चुकी है.
नासरीगंज के मिर्जा परवेज ने बताया कि इसी साल मार्च के अंतिम सप्ताह में सूडान गये थे. वहां मजदूरी कर रहे थे. इसी बीच वहां गृह युद्ध शुरू हो गया. घर में रहने काे कहा गया. कुछ दिन बाद राशन, पानी खत्म होने लगा. पता चला कि इंडियन एंबेसी निकालने के लिए तैयार है. बुलाने पर वहां गये. सुरक्षा घेरे में 18 घंटे का रास्ता तय करने के बाद सूडान एंबेसी के कैंप पहुंचे. वहां खाना और सोने के लिए बिस्तर तक उपलब्ध कराया.
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पश्चिम चंपारण के शाजिम अली ने कहा कि डेढ़ महीने पहले ही कर्ज लेकर सूडान गया था. वहां कपड़े की दुकान में काम मिला था. वहां जंग शुरू हाे गयी. घर से बाहर निकलना तक मना है. पैसा भी नहीं दिया. लौटने के दाैरान भी गोलीबारी हो रही थी.