पटना. कोरोना वायरस से पूरी दुनिया जूझ रही है. कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिये पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. इस समय देश की सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से बंद है. लॉक डाउन के चलते प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा बुरी तरह लड़खड़ाई हुई है़ चूंकि सरकारी स्कूलों की प्राथमिक और मध्य कक्षाओं के बच्चों की ऑन लाइन शिक्षा सहज नहीं है़ बच्चे बिना किताब के नहीं पढ़ पाएंगे. बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करने में हो रही परेशानी को देखकर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. ऐसी स्थिति में प्राथमिक शिक्षा निदेशालय किताबों की होम डिलीवरी करा सकता है़ सभी बच्चों के घर-घर किताबें पहुंचाया जाएगा. वह इसके लिए मेकेनिज्म बनाने पर काम कर रहा है़ हालांकि यह तभी किया जायेगा, जब लॉक डाउन बढ़ता है़ प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए सभी विषयों की 3.5 करोड़ किताबें प्रकाशित करने के आर्डर जारी कर दिये हैं.
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रणजीत सिंह ने बताया कि लॉक डाउन के चलते सीबीएसइ के तहत प्राथमिक और मध्य स्कूलों में प्रदेश में ऑन लाइन पढ़ाई संभव नहीं दिख रही है़ इसलिए हमारी मंशा है कि अगर लॉक डाउन बढ़ा तो फिर किताबों की होम डिलीवरी कराने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है़ इसके लिए विभाग एक मेकेनिज्म बनाने पर काम भी कर रहा है़ उन्होंने बताया कि इस दिशा में सबसे पहले आधार भूत किताबों की छपवाई की कवायद बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक पब्लिक कॉरपोरेशन लिमिटेड ने शुरू कर दिया है़ उल्लेखनीय है कि इस साल प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा बुरी तरह लड़खड़ाई है़ अव्वल तो टीचर्स की हड़ताल चली़ इसके बाद लाक डाउन के चलते स्कूल अब तक बंद हैं. उनकी परीक्षा भी नहीं हुई़ इसलिए शिक्षा विभाग प्राथमिक कक्षाओं में मंजबूती के लिए एक ठोस मेकेनिज्म बनाने की तैयारी कर रहा है़
आरटीइ के भुगतान के लिए केंद्र ने दिया 90 करोड़
आरटीइ के तहत पढ़ाई के लिए के प्राइवेट स्कूलों के भुगतान के लिए केंद्र ने 90 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिये हैं. अब किस स्कूल को कितना पेमेंट करना है , इसके लिए जिलों से रिपोर्ट मंगवाई जा रही है़ विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिलों से जानकारी मांगने के लिए पत्र जारी कर दिया गया है़ सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने यह भुगतान 2018-19 और 2019-20 सत्र का है़ उल्लेखनीय है कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन्स ने राज्य सरकार से अविलंब पैसा उपलब्ध कराने के लिए कहा है़