बॉटनिकल गार्डन के बहुरेंगे दिन, फिर से सजेंगे विलुप्त हो रहे औषधीय पौधे
भागलपुर. टीएमबीयू के पीजी बॉटनिकल गार्डन के अब दिन बहुरेंगे. गार्डन में सूख रहे औषधीय पौधे को हरा-भरा करने के लिए जल्द ही विवि काम शुरू करने जा रहा है. बॉटनी विभाग के गार्डन में बिहार व झारखंड में विलुप्त हो रहे 11 प्रजाति के औषधीय पौधे का उत्पादन किया जायेगा. इसे लेकर आइयूसीएम व […]
- बिहार-झारखंड में विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को फिर से उत्पादन की कवायद शुरू
- आइयूसीएम ने पीजी बॉटनी विभाग के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है
- औषधीय पौधों के जड़, फूल व पत्तों से विभिन्न बीमारियों का हो सकेगा इलाज
भागलपुर. टीएमबीयू के पीजी बॉटनिकल गार्डन के अब दिन बहुरेंगे. गार्डन में सूख रहे औषधीय पौधे को हरा-भरा करने के लिए जल्द ही विवि काम शुरू करने जा रहा है. बॉटनी विभाग के गार्डन में बिहार व झारखंड में विलुप्त हो रहे 11 प्रजाति के औषधीय पौधे का उत्पादन किया जायेगा. इसे लेकर आइयूसीएम व बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने बॉटनी विभाग के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. जल्द ही इस मद में विभाग को करीब 30 लाख की राशि उपलब्ध करायी जायेगी.
विभाग के हेड डॉ एसके चौरसिया ने बताया कि उन्हें प्रोजेक्ट का इंचार्ज बनाया गया है. 2017 तक प्रोजेक्ट को पूरा करना है. इस अवधि में बिहार व झारखंड से विलुप्त हो चुके या विलुप्त होने के कगार पर 11 प्रजाति के औषधीय पौधे पर काम किया जाना है. पहले इन पौधों को विभाग के गार्डन में लगाया जायेगा, अगले चरण में उत्पादन शुरू किया जायेगा. हेड ने बताया कि देश के 12 विश्वविद्यालयों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जिनमें टीएमबीयू भी है.
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प्रोजेक्ट का उद्देश्य –
औषधीय पौधों को लोगों तक पहुंचाने का काम किया जायेगा. इससे कई बीमारियों का उपचार किया जा सकेगा. साथ ही प्रकृति को संरक्षित करने में भी मील का पत्थर साबित होगा. बताया जा रहा है कि कुछ ऐसे पौधे भी हैं,जो यहां के वातावरण में शूट नहीं कर पाते है. इसके लिए विभाग में पॉली हाउस बनाया जायेगा. इसके मदद से उन पौधे का उत्पादन किया जायेगा.
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इन पौधों को लगाया जाएगा
नाम कहां मिलता है
दल ब्रजिया लेटी फोलिया झारखंड
दल मलेनो जॉलोन झारखंड
बॉस बेलिया सेरोटा बिहार
इराई थ्रीरिया रिसू पीनाटा बिहार- झारखंड
हार्ड बीकिया बाइ नाटा बिहार
क्रेटेवा ऐडन सोनी बिहार
टेरो क्रापस मार शुपियम बिहार
मीलू शाह टमेंटो शाह झारखंड
जीमनो इस्पेरिया बिहार -झारखंड
साइ ड्रेरेक्स डाइ कोकस बिहार
केना वैलिया गैलेन डियिटा झारखंड
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डायबिटीज सहित कई बीमारियों में ये पौधा आयेगा काम –
विभाग के हेड डॉ एचके चौरसिया ने बताया कि पौधों के जड़, पत्ते व फूल से स्कीन की बीमारी,कृष्ठ रोग, अस्थमा, गठिया,महिलाओं में होने वाली बीमारी, हड्डी, दिल से जुड़ी बीमारियों का इलाज संभव है.
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बॉटनिकल गार्डन का एशिया में है नाम –
विभाग के पूर्व हेड ने बताया कि गार्डन में पूर्व के कई वर्षों से औषधि पौधे लगाये गये हैं. सौ से अधिक ऐसे कई प्रजातियां के पौधे है. किसी न किसी बीमारी के उपचार के लिए मददगार साबित हो सकता है. तुलसी, वाकस, गिलोय सहित कई पौधे हैं.
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क्या बोले कुलपति –
कुलपति डॉ जवाहरलाल ने कहा कि बॉटनी विभाग के गार्डन के जीर्णोद्धार को लेकर लगातार प्रयासरत थे. इसे लेकर हाई लेवल के अधिकारियों से बात हुई थी. प्रोजेक्ट मिलने से टीएमबीयू का गौरवशाली इतिहास वापस लाने में मददगार साबित होगा.