बिहार: बाल विवाह रोकने के लिए लड़के-लड़कियों को किया गया सम्मानित, महिलाओं के पोषण के लिए शुरू होगा कैंपेन
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न जिलों से पटना आये 11 बालक-बालिकाओं को सम्मानित किया गया. इस दौरान हरी महिलाओं को जागरूक करने के लिए झंडी दिखाकर एक प्रचार वैन को रवाना किया गया.
जूही स्मिता, पटना. महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बिहार में बालिकाओं की समाज में सशक्त पृष्ठभूमि बनाने की दिशा में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य से एक बच्ची के जन्म से लेकर करियर के चयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. वहां आये अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर पटना जिले के लिए प्रचार वैन को रवाना किया गया. वहीं अलग-अलग जिलों से आये 11 लड़के और लड़कियों को बाल विवाह को रोकने के लिए सम्मानित किया गया. साथ ही 68 वीं सिविल सेवा प्रोत्साहन राशि प्रोत्साहन राशि से लाभान्वित 207 में से अंतिम रूप से चयनित 28 महिला अभ्यर्थियों को सम्मानित किया गया.
महिलाओं के न्यूट्रीशन को लेकर जल्द शुरु होगा कैंपेन
इस अवसर पर निगम की प्रबंध निदेशक बंदना प्रेयषी ने कहा कि कामकाजी महिलाओं के लिए महिला एवं बाल विकास निगम प्रत्येक जिलों में पालनाघर का स्थापना कर रही है ताकि महिलाएं अपना काम कर सकें. बालिकाओं के कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए हम इस साल 1,75,000 महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसे नर्सिंग, वित्तीय साक्षरता, ब्यूटी वेलनेस, मोटर चालक, मोबाइल रिपेयरिंग और इलेक्ट्रिशियन का प्रशिक्षण देने के साथ उनका प्लेसमेंट किया जायेगा. जल्द महिलाओं के न्यूट्रीशन के लिए कैंपेन की शुरुआत होगी. गांवों में सखी वार्ता से महिलाओं को लाभ मिल रहा है. उन्होंने बताया कि हमें बच्चियों को यह उम्मीद देना है कि वह काफी आगे जायेंगी और अपने सपनों को साकार करेंगीं.
विभिन्न अधिनियम के बारे में मिली जानकारी
मौके पर यूएनएफपीए की अनुजा गुलाटी ने पीसी पीएनडीटीसी अधिनियम के बारे में जानकारी दी. वहीं यूनिसेफ के बंकू सरकार ने पॉक्सो अधिनियम पर संक्षिप्त जानकारी पीपीटी के माध्यम से साझा की. बचपन बचाओ आन्दोलन के स्टेट कन्वेनर मुक्तारुल हक और अरिजीत अधिकारी के द्वारा बिहार में बाल विवाह से मुक्त बच्चों का आपबीती पर परिचर्चा करते हुए बताया कि कैलाश सत्यार्थी ने बाल विवाह मुक्त भारत का जो प्रण लिया है सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत उसको हम और आगे ले जायेंगें.
उन्होंने कहा आज वह दिन है कि हम बाल विवाह मुक्त बिहार बनाने का संकल्प लें. समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा के कहा कि आज जरूरत है कि हमारे समाज में बालिकाओं को सक्रिय अंग के रूप में विकसित किया जाए तो मुझे उम्मीद है कि इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करेंगे और नेशनल लीडर के रूप में उभर कर हमारा बिहार आगे आयेगा. मौके पर कार्यपालक निदेशक अलंकृता पांडे, निदेशक राजीव वर्मा, एसबीआइ डीजीएम तरुण कुमार मौजूद थे.
बाल विवाह रोकने वाले लड़के और लड़कियोंं से बातचीत
घरवालों ने मेरी शादी 14 साल की उम्र में 26 साल के युवक के साथ तय कर दी थी. बाल विवाह कानून अपराध है इसके बारे में सर्वप्रथम संस्था से जुड़ने के बाद पता चला. मैंने अपनी शादी की जानकारी संस्था की सरिता दीदी को दी. तब उन्होंने मेरे परिवारवालों को समझाया और विवाह रूका.अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही. -अर्चना पाल, मधुबनी
पिछले साल नवंबर में मेरी शादी तय की गयी. मेरी शादी जिससे हो रही थी वह 13 साल की थी और मैं 17 साल का था. उस वक्त मैंने इसकी जानकारी उड़ान एक्शन एड एसोसिएशन को दी जहां लड़कियों के टीम ने इस विवाह को रोका. इस बार 12वीं की परीक्षा दूंगा. गांव में बाल विवाह को लेकर जागरूकता फैलाता हूं. -मो आशिक, मधेपुरा
साल 2012 में मेरे अब्बू और साल 2016 में अम्मी का इन्तकाल हो गया. दिल्ली में रहकर पढ़ाई करती थी लेकिन वापस अपने नानी के पास आना हुआ. साल 2016 में 14 साल की उम्र में नानी ने निकाह तय कर दिया. मैं इसके खिलाफ थी तो मैंने किशोरी संगठन में अनिल सर के समक्ष अपनी बात रखी. इस नानी ने घर से निकाल दिया था. मौसी ने मुझे अपने घर में रखा और बाल विवाह रोकने में मेरी मदद की. आज मैंने कई गांवों के बेटियों के बाल विवाह को रोका है. -शहनाज, मधुबनी
पिता के निधन के बाद मैं मां के साथ साल 2022 में अपने नानी घर आ गया. 16 साल की उम्र में मामा ने मेरा रिश्ता तय कर दिया. मैंने बाल विवाह का विरोध किया लेकिन घरवाले ने नहीं माने. शादी के वाले दिन मैंने गांव के एक्शन एड टीम की एक सदस्य को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद टीम मंडप पर पहुंची. फिर पंचायत से लेकर अधिकारी आये और तब जाकर मेरी शादी रुकी. -लाल बाबू कुमार, मुजफ्फरपुर