गया. बीपीएससी पेपर लीक प्रकरण में राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज के सचिव शक्ति कुमार को आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा पकड़े जाने के बाद कॉलेज की संबद्धता को लेकर चर्चा आम हो गयी है. इओयू के अनुसार, शक्ति कुमार के द्वारा सेंटर पर पेपर पहुंचते ही मोबाइल से फोटो खींच एक व्यक्ति को भेजा गया था. इसे शक्ति कुमार ने भी स्वीकार किया है. छह लाख छात्रों का भविष्य व एग्जाम कंडक्ट करने में बीपीएससी का करोड़ों का खर्च सहित संस्था की शाख भी बिगड़ी है. लेकिन, स्थानीय स्तर पर मामला इस बात की तूल पकड़ता जा रहा है कि आखिर असंबद्धता प्राप्त कॉलेज को सेंटर क्यों दिया गया.
क्या इसमें किसी की मिलीभगत थी या और कुछ. लेकिन, प्रभात खबर की पड़ताल में ये बात सामने आ रही है कि सेंटर लिस्ट अपडेट किये बिना एग्जाम को संचालित किया जा रहा था. सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2022 को डीएम कार्यालय से ही बीपीएससी 67 वीं प्रारंभिक परीक्षा को लेकर सेंटर लिस्ट भेजकर सीट उपलब्धता की जानकारी मांगी गयी थी. इसी बीच एग्जाम की संभावित तिथि कई बार बढ़ी. डीइओ कार्यालय भी उसी लिस्ट को निर्देश समझ राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज (जिसकी संबंद्धता समाप्त हो चुकी थी) में परीक्षा को लेकर बैठने की क्षमता की रिपोर्ट भेज दी गयी. जबकि उसकी संबद्धता को लेकर सत्यापन नहीं किया गया.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटर की परीक्षा का सेंटर भी उसी रामशरण सिंह इवनिंग कॉलेज में संचालित किया गया था. लेकिन वहां सेंटर सुपरिटेंडेंट शिक्षा विभाग के जिम्मे था. कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर को यूज किया गया था. बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा से पहले कई प्रतियोगी परीक्षाओं का सेंटर भी वहां संचालित किया गया.
बीपीएससी का सेंटर राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज डेल्हा गया व सेंटर कोड 0733 के नाम से अलॉउट किया गया था. वहीं इंटर व मैट्रिक का सेंटर आरएसएस सेकेंडरी स्कूल डेल्हा के नाम से आवंटित किया गया था. एक ही बिल्डिंग में दो शिक्षण संस्थान के नामों से सेंटर अलाउट किया. डीएम से डीइओ कार्यालय तक यह चलता रहा, लेकिन संबद्धता को लेकर मामला फाइलों में ही दबा रहा.
आर्थिक अपराध इकाई इस मामले में कई बिंदुओं पर जांच कर रही है. पता लगाया जा रहा है कि पेपर लीक करने वालों की कमाई का माॅडल क्या था? मामले में अभी तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनके बैंक खातों की जांच में कई अहम सुराग मिले हैं. मोटी राशि के लेन-देन के भी सबूत मिले हैं.
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पटना. बीपीएससी की 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्र वायरल मामले में गया के रामशरण सिंह इवनिंग कॉलेज डेल्हा के केंद्राधीक्षक शक्ति कुमार की गिरफ्तारी के बाद उक्त परीक्षा केंद्र को बनाये जाने पर जांच शुरू हो गयी है. कॉलेज की मान्यता 2018 में खत्म होने के बावजूद यहां पिछले चार साल से विभिन्न परीक्षाओं का केंद्र बनाया जा रहा था. इस मामले में सेंटर मजिस्ट्रेट रहे स्थानीय डीइओ राजदेव राम की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए आर्थिक अपराध इकाई ने उनसे पूछताछ की है. जरूरत होने पर उनको फिर से बुलाये जाने की सूचना भी दी गयी है. सूत्रों के अनुसार, मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी इसमें स्थानीय शिक्षा अधिकारियों की भूमिका बतायी है.
वहीं, आर्थिक अपराध इकाई ने मामले में केंद्राधीक्षक शक्ति कुमार को रिमांड पर लेने की तैयारी की है. इसको लेकर कोर्ट में अपील की जा सकती है. केंद्राधीक्षक ने प्रश्न पत्र को स्कैन कर जिस कपिलदेव को भेजा था, वह फरार चल रहा है. उसके विरुद्ध वारंट लेकर पुलिस तलाश कर रही है. कपिलदेव इलाहाबाद स्थित सीडीए कार्यालय में क्लर्क बताया जाता है, जो खुद भी परीक्षार्थी था.
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