पटना. बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) पेपर लीक मामले में इओयू की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. इस मामले में इओयू ने कृषि विभाग में सहायक राजेश कुमार समेत चार और लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि, गिरोह का सरगना आनंद गौरव उर्फ पिंटू यादव फरार है. वह इंजीनियर है. राजेश कुमार के अलावा तीन अन्य लोग भी हैं, जिन्होंने सॉल्वर की भूमिका निभायी थी. ये तीनों भी फरार हैं. इन सबकी गिरफ्तार के लिए छापेमारी लगातार जारी है. इस गैंग के अलावा कुछ अन्य गैंग भी इसमें शामिल हैं, जिनकी तलाश चल रही है. इसके पहले आरा के कुंवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य व बड़हरा के बीडीओ समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
इओयू ने जिन चार और लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें पटना के शास्त्रीनगर थाने के पटेल नगर में रहने वाले राजेश कुमार के अलावा जगदेव पथ में रहने वाला निशिकांत कुमार राय, भूतनाथ रोड की बहादुर हॉउसिंग कॉलोनी में रहने वाला कृष्ण मोहन सिंह और औरंगाबाद का निवासी सुधीर कुमार सिंह शामिल हैं. कृष्ण मोहन सिंह वैशाली जिले के देसरी स्थित हाइस्कूल में शिक्षक है. इसकी भूमिका भी प्रश्नपत्र सॉल्व करने से लेकर अन्य चीजों में मुख्य रूप से रही है. इसके अलावा सॉल्वर राजेश की निशानदेही पर पटना के कदमकुआं के लोहानीपुर मोहल्ले में मौजूद एक किराये के मकान में छापेमारी की गयी.
इस स्थान को इन लोगों ने सेटिंग-गेटिंग का पूरा कंट्रोल रूम बना रखा था. यहां छापेमारी में बड़ी संख्या में आधुनिक उपकरण बरामद किये गये हैं, जिनका उपयोग परीक्षा में धांधली कराने के लिए किया जाता है. इसके अलावा लोहानीपुर में ही एक अन्य स्थान पर छापेमारी की गयी. किराये पर लिया गया यह घर सरगना पिंटु यादव का अड्डा है. यहां से 2.92 लाख कैश, छह बैंक खातों, जिनमें 12 लाख से ज्यादा रुपये जमा पाये गये, बड़ी संख्या में जीपीएस डिवाइस, लैपटॉप, 32 से ज्यादा सिम कार्ड, पेन ड्राइव, 16 इयर पीस, प्रिंटर समेत अन्य कई चीजें शामिल हैं. फिलहाल सभी चीजों को जब्त करके इनकी जांच चल रही है. इसमें दर्ज जानकारी के आधार पर कई लोग इसकी जद में आयेंगे और इस रैकेट में शामिल बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी होगी.
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राजेश कुमार 2012 में भी बिहार एसएससी पेपर लीक मामले में आरोपित था और इओयू ने उसे गिरफ्तार भी किया था. वह कई महीनों तक जेल में भी रहा था. इसकी केस संख्या 25/2012 है. इसके बावजूद उसकी ज्वाइनिंग 2018 में सचिवालय सहायक के तौर पर हो गयी. वर्तमान में उसकी तैनाती कृषि विभाग के कोषांग में सहायक के तौर पर थी.
नियमानुसार, किसी आरोपित व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है. सरकारी नौकरी में किसी को आने से पहले उसके बारे में पूरी तफ्तीश होती है. लेकिन, राजेश कुमार के बारे में तफ्तीश के दौरान कुछ चूक रह गयी या इसने इंक्वायरी में भी कुछ जुगाड़ लगायी थी, तभी उस पर लगे आरोप पकड़ में नहीं आये और उसकी नियुक्ति सहायक के तौर पर हो गयी. इओयू ने इस पहलू पर भी जांच शुरू कर दी है कि आखिर किसी आरोपित की नियुक्ति कैसे सहायक के तौर पर हो गयी.