बीआरए बिहार विवि के सेंट्रल लाइब्रेरी को हाइटेक बनाने के साथ अंगीभूत व सरकारी 42 कॉलेजों में भी ई-लाइब्रेरी की व्यवस्था होगी. इसके लिए राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था कर दी है. सरकार स्तर से ही एजेंसी का चयन किया गया है. बुधवार को पटना में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के देवेंद्र कुमार सिंह व मनीष कुमार बतौर विशेषज्ञ शामिल हुए. इनके अलावा भी कई विशेषज्ञ मौजूद थे. इसमें ई-लाइब्रेरी खोलने के लिए बीआरए बिहार विवि के नोडल पदाधिकारी बनाये गये सेंट्रल लाइब्रेरी के अध्यक्ष डॉ कौशल किशोर चौधरी शामिल हुए.
बताया जा रहा है कि एक माह के भीतर कॉलेजों में ई-लाइब्रेरी के ऊपर काम शुरू होगा. सभी कॉलेज में जो हेड लाइब्रेरियन है, उन्हें वहां का नोडल पदाधिकारी बनाना है. जिस कॉलेज में लाइब्रेरियन का पद रिक्त है, उसमें किसी प्राध्यापक को प्रोफेसर इन चार्ज बनाना है. सरकार से इसको लेकर निर्देश दिया गया है. यही नहीं, ई-लाइब्रेरी के माध्यम से घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों को लैपटॉप की दिक्कत सामने आ रही है. यह मुद्दा जब उठा, तब कार्यशाला में मौजूद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने लैपटॉप के लिए भी छात्रों को लोन दिलाने की बात कही. इसके लिए सरकार स्तर से ही कवायद होगी. जिस छात्र को लैपटॉप की आवश्यकता है, उन्हें लाइब्रेरी से अनुशंसा कराना होगा.
बता दें कि पटना में आयोजित कार्यशाला में राज्य भर के 14 यूनिवर्सिटी के नोडल अधिकारी शामिल हुए. कुल 272 ऐसे कॉलेज है, जहां प्रथम फेज में ई-लाइब्रेरी विकसित होगा. इसके बाद जितने भी संबंद्ध कॉलेज हैं, उसमें ई-लाइब्रेरी विकसित करने पर काम होगा. इस लाइब्रेरी की सुविधा से छात्र घर बैठे ही अपने पढ़ाई कर सकेंगे. साथ ही, किताब की कमी के वजह से छात्रों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा.