BRA Bihar University: मुजफ्फरपुर में कॅरियर डेवलपमेंट सेंटर के लिए एजेंसी का चयन, काम का पता नहीं
मुजफ्फरपुर में कॅरियर डेवलपमेंट सेंटर के लिए एजेंसी का चयन हो गया है. लेकिन काम का पता नहीं है. लखनऊ की एजेंसी का नाम आने पर विवाद शुरू हो गया है. डीन व विभागाध्यक्षों की बैठक डीडीआर पर सहमति के लिए हुई थी.
मुजफ्फरपुर. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में कॅरियर डेवलपमेंट एंड इंप्लॉयमेंट सेंटर खुलेगा. विश्वविद्यालय की ओर से इसके लिए एजेंसी का चयन भी कर लिया गया है, जबकि यह अब तक तय नहीं हो सका है कि उसका काम क्या होगा. वहीं, सेंटर के लिए लखनऊ की एजेंसी का नाम आने पर भी नया विवाद शुरू हो गया है.
जवाब विवि के अधिकारी नहीं दे सके
पिछले रविवार को विवि के गेस्ट हाउस में एजेंसी की डीडीआर पर सहमति के लिए अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें सभी फैकल्टी के डीन और विभागाध्यक्षों को भी बुलाया गया था. विभागाध्यक्षों ने दो सवाल किये और दोनों का ही जवाब विवि के अधिकारी नहीं दे सके. पहला सवाल था कि एजेंसी का काम क्या होगा और दूसरा उसके खर्च का वहन कहां से होगा? आखिर में यही निर्णय हुआ कि एजेंसी के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय में आकर अपना प्रजेंटेशन दें. साथ ही बजट के लिए भी प्रस्ताव तैयार कर संबंधित निकायों से स्वीकृति लेनी होगी.
एकेडमिक काउंसिल की बैठक में मिली है मंजूरी
छात्र कल्याण के अध्यक्ष डॉ अभय कुमार सिंह ने बताया कि सेंटर को लेकर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है. विश्वविद्यालय में इंप्लॉयमेंट सेंटर खुलना चाहिए, लेकिन यह भी सवाल जायज है कि उसके खर्च का वहन कहां से होगा. यदि ज्यादा बजट होगा, तो सरकार को डिमांड भेजी जायेगी. वहीं, विवि की ओर से 19 जून को एकेडमिक काउंसिल की बैठक की गयी थी, जिसमें छात्रों के लिए कॅरियर डेवलपमेंट एंड इंप्लॉयमेंट सेंटर स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी. इस सेंटर पर विवि के छात्र-छात्राओं के लिए कॅरियर काउंसेलिंग के साथ ही आधुनिक तकनीक के बारे में भी जानकारी दी जायेगी. हालांकि यहां संचालित होने वाले कोर्स या कार्यक्रम नि:शुल्क होगा या विद्यार्थियों से ही फीस ली जाएगी, इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है.
लखनऊ की एजेंसी के नाम पर ही उठ रहे सवाल
कॅरियर डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने के लिए विवि की ओर से लखनऊ की कंपनी सॉफ्ट प्रो इंडिया कंप्यूटर टेक्नोलॉजी (प्राइवेट) लिमिटेड का चयन किया गया है. इस पर कुछ विभागाध्यक्षों ने ही सवाल खड़े कर दिये हैं. उनका कहना है कि एकेडमिक काउंसिल ने सेंटर स्थापित करने की सहमति दी है. लेकिन, एजेंसी का चयन किस आधार पर कर लिया गया, जबकि उसके काम के बारे में भी जानकारी नहीं है.