BRABU: बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने आज सात दशक का सफर पूरा कर लिया. बिहार विश्वविद्यालय की स्थापना दो जनवरी 1952 को की गयी थी. उस समय पटना विश्वविद्यालय से अलग करके नया विश्वविद्यालय बनाया गया था. कुछ सालों तक मुख्यालय भी पटना में ही रहा.शुरुआती चार दशक में ही विश्वविद्यालय चार विभाजन झेले, जिसमें छह नये विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी. पहला विभाजन 1960 में हुआ.
बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत तीन हिस्सों में बांटकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के साथ ही रांची विश्वविद्यालय रांची व भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर की स्थापना की गयी. 1961 में इसी अधिनियम के तहत बिहार विश्वविद्यालय का फिर से विभाजन हुआ और मगध विश्वविद्यालय बोधगया की स्थापना की गयी.बिहार विश्वविद्यालय का तीसरा विभाजन 1973 में हुआ. इस बार मिथिला विश्वविद्यालय की नींव रखी गयी, जिसका मुख्यालय दरभंगा को बनाया गया. इसके बाद 1990 में एक और विभाजन हुआ. पश्चिमी हिस्से के कॉलेजों को काटकर छपरा में जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी.
स्थापना के समय इसका नाम बिहार विश्वविद्यालय था, जिसे 1992 में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का नाम मिला. वर्तमान में 24 स्नातकोत्तर विभाग, तीन गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज और 39 अंगीभूत कॉलेजों के साथ ही 70 संबद्ध कॉलेजों के साथ इसका कार्यक्षेत्र मुजफ्फरपुर सहित पांच जिलों में फैला हुआ है. इसके अलावा होमियोपैथ, आयुर्वेद व यूनानी के कॉलेज पूरे बिहार के कई जिलों में संचालित होते हैं. पांच दर्जन से अधिक बीएड कॉलेजों को भी यहां से संबद्धता है.
यहां से पढ़कर निकले मृदुला सिन्हा सहित कई सितारे
बिहार विश्वविद्यालय के शैक्षणिक उपलब्धियों का अतीत शानदार है. यहां से पढ़कर गोवा की पूर्व गवर्नर मृदुला सिन्हा के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री व जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, वरीय पत्रकार अजीत अंजुम, कौशलेंद्र झा, सांसद अजय निषाद, रमा देवी, राम किशोर सिंह, पूर्व मंत्री अर्जुन राय सहित कई सितारे निकले हैं. वर्तमान में भी तमाम लोग देश व विदेश में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं.
हर साल चुपके से निकल जाता है स्थापना दिवस
बिहार विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस दो जनवरी को आता है, जो हर साल चुपके से निकल जाता है. अधिकारियों का कहना है कि यहां स्थापना दिवस समारोह मनाने की परंपरा ही नहीं रही है. ऐसे में नये सिरे से आयोजन को लेकर कौन पहल करे, यह बड़ा सवाल है. विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाले आयोजन की फेहरिस्त में अब तक केवल बाबा साहब की जयंती व परिनिर्वाण दिवस ही है.