BRABU: बिहार विश्वविद्यालय में होगा सीनेट पर संग्राम, सदस्यों को बुलावे का इंतजार
BRABU के सीनेट के सदस्य बैठक के लिए बुलावे का इंतजार कर रहे हैं. 31 दिसंबर को हुई बैठक में करीब चार घंटे तक जिन मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्रवाई ठप रही, उन मुद्दों पर अलग से 11 जनवरी को बैठक बुलाने की घोषणा कुलपति ने की थी. अब दो दिन बचे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से कोई तैयारी नहीं है.
BRABU के सीनेट के सदस्य बैठक के लिए बुलावे का इंतजार कर रहे हैं. 31 दिसंबर को हुई बैठक में करीब चार घंटे तक जिन मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्रवाई ठप रही, उन मुद्दों पर अलग से 11 जनवरी को बैठक बुलाने की घोषणा कुलपति ने की थी. अब दो दिन बचे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से कोई तैयारी नहीं है. वैसे यह पहला मौका नहीं है. लंबे समय से साल में दो बार सीनेट और चार बार सिंडिकेट की बैठक बुलाने की मांग चल रही है. लगभग हर बार बैठक की शुरुआत में यही मामला उठता है और कुलपति के आसन से आश्वासन मिल जाता है. इस बार भी मुद्दा उठा, लेकिन माहौल बदल गया था.
मांगों को लेकर चार घंटे तक अड़े रहे सदस्य
विधान पार्षद व सीनेट सदस्य प्रो संजय सिंह ने एकेडमिक मसलों को सुलझाने के बाद ही बजट और एफिलिएशन के प्रस्तावों को स्वीकृत कराने की मांग रखी और चार घंटे तक अड़े रहे. उनकी मांगों का समर्थन पूर्व डिप्टी सीएम रेणू देवी व अन्य सीनेट के सदस्यों के साथ ही सिंडिकेट के कई सदस्यों ने भी किया. यही वजह रही कि जब कुलपति ने दूसरी बैठक की तिथि घोषित कर दी, उस दिन की कार्रवाई केवल प्रस्तावों को स्वीकृत करके ही करीब आधे घंटे में पूरी कर ली गयी.
वीसी की दूसरी घोषणा भी धरातल पर नहीं उतरी
सीनेट की बैठक में पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी की मांग पर कुलपति ने बेतिया में विश्वविद्यालय का एक्सटेंशन काउंटर खोलने की घोषणा की. साथ ही आसन से ही तिथि निर्धारित करने काे कहा, तो रेणु देवी ने पांच जनवरी की तिथि तय की. हालांकि यह काम भी धरातल पर नहीं उतरा.
टूट रहीं विश्वविद्यालयों की परंपराएं
समय के साथ विश्वविद्यालय और राजभवन की परंपराएं भी टूट रही हैं. विधान पार्षद व बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य प्रो संजय सिंह ने कहा कि पहले कुलपति का कार्यकाल छह महीने बाकी रहता था, तभी उनके अधिकारों पर प्रतिबंध लग जाता था. केवल रूटीन के कार्य कर सकते थे. वर्तमान कुलपति का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है. यानि तीन महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन अब तक राजभवन की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
कुलपति ने तीन साल केवल ठगने में गुजार दिया: विधान पार्षद
किसी भी विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक बॉडी सीनेट होती है. इसमें छात्र-छात्राओं से जुड़े मुद्दों पर भी प्रमुखता से चर्चा होनी चाहिये, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन इससे भाग रहा है. कुलपति ने तीन साल केवल छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को ठगने और झूठ बोलने में गुजार दिये. छात्रों के मुद्दे पर चर्चा के लिए 11 जनवरी को बैठक बुलाने की घोषणा किये थे, लेकिन आधिकारिक तौर पर अब तक कोई सूचना नहीं है. सुनने में आ रहा है कि कुछ दिन आगे बढ़ाकर बैठक कराने की योजना है.