विपक्षी एकता के लिए महत्वपूर्ण होने वाली महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी गठन के लिए बड़े सवालों पर मंथन जारी है. फिलहाल पिछले दिनों राज्य के सात घटक दलों के नेताओं ने इसके स्वरूप पर चर्चा तो शुरू कर दी, लेकिन प्रदेश से लेकर प्रखंड तक की इस कमेटी के गठन में कई पेच हैं. पहला बड़ा प्रश्न है कि सात दलों की बनी कमेटी के अध्यक्ष का चयन कैसे होगा? कार्यकाल क्या होगा, शक्तियां क्या होंगी? राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर कमेटी का स्वरूप कितने-कितने सदस्यों का होगा? जाहिर है यदि इस तरह की कमेटी का बेहतर गठन और संचालन बिहार में दिखेगा तो यह पूरे देश में विपक्षी एकता के लिए लागू होगा और बड़ा आधार बनेगा.
सूत्रों के अनुसार इस कमेटी में स्थानीय विधायकों, विधान पार्षदों सहित घटक दलों के मुख्य पदाधिकारियों को भी शामिल करने की बात हो रही है. अब तक की घटनाएं बताती हैं कि राजनीतिक दलों के लिए बनने वाली प्रदेश स्तरीय को-ऑर्डिनेशन कमेटी में बेहतर तालमेल दिखता है. जैसे ही इस तरह की कमेटी का गठन जिला, प्रखंड या स्थानीय स्तर पर करने की बात होती है तो तालमेल बिगड़ जाता है. इसका खामियाजा चुनावों में बड़े स्तर पर दिख जाता है.
ऐसी हालत में महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी को बनाने का मूल मकसद फिलहाल 2024 का लोकसभा चुनाव और फिर 2025 का विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना है. भाजपा के खिलाफ अधिक से अधिक वोट बटोरना और अधिक प्रत्याशियों की जीत हासिल कर सरकार के गठन में मुख्य भूमिका निभाना है. इतने महत्वपूर्ण घटनाक्रम को बेहतर तरीके से अंजाम देने के लिए बनने वाली को-ऑर्डिनेशन कमेटी को भी रचकर बनाना सभी घटक दलों की जिम्मेदारी होगी.
राज्यभर में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 15 जून को जिला मुख्यालय पर महागठबंधन का धरना -प्रदर्शन होगा. इसको लेकर गुरुवार को महागठबंधन की बैठक होगी, जिसमें प्रदर्शन को लेकर महागठबंधन का संयुक्त पर्चा जारी किया जायेगा. इसे जिलों में लोगों को बीच बांटा जायेगा और केंद्र सरकार के नौ साल में बढ़ी बेरोजगारी एवं महंगाई से जुड़ी बातें लोगों तक पहुंचायी जायेगी.
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महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही है, जिसको लेकर हाल में हुई बैठक में तय किया गया है कि जिला स्तर पर अभी महागठबंधन से जुड़ी सभी पार्टियों के जिला अध्यक्ष एवं सचिव नियमित बैठक करेंगे और लोगों से भी एक साथ मिलेंगे. जिसमें महागठबंधन की राणनीति और केंद्र सरकार की खामियों के संबंध में चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक जिला स्तर अभी इसी तरह से सभी पार्टियां मिल कर काम करेंगी. इसके बाद राज्य स्तर पर भी बहुत जल्द को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनेगी, जिसमें सभी दल के एक-एक लोग शामिल होंगे.