पटना. कोरोना महामारी के कारण देश में 1881 के बाद से पहली बार करीब 140 साल बाद 10 वर्षीय जनगणना पर ब्रेक लगी है. अब जो भी जनगणना होगी वह अनुमान के आधार पर तैयार किया गया आंकड़ा होगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 मार्च, 2019 को भारत में जनगणना कराने की अधिसूचना जारी कर दी थी. इसके आधार पर मार्च 2021 के पहले दिन के मध्य रात्रि को जनगणना किया जाना था.
यह पहला अवसर था, जिसमें मोबाइल एप्लीकेशन आधारित घरों का सूची तैयार करना और जनगणना की जानी थी. जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण निर्धारित समय पर जनगणना नहीं हुई. देश में कोरोना के तीसरे लहर का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में दिसंबर 2021 तक जनगणना बाधित रह सकती है.
उनका कहना है कि ऐसे में यह दशकीय जनगणना नहीं होगी. अगर कोई अनुमान के आधार पर कोई जनगणना के आंकड़े जारी किये जाते हैं, तो इसको इस्मीटेड डिकेडल सेंसस कहा जा सकता है. इस वर्ष होनेवाली जनगणना में पहली बार सूचनाओं की संख्या बढ़ाकर 34 प्रकार कर दी गयी थी.
जानकारों का यह भी मानना है कि नयी होनेवाली जनगणना में धर्म के आधार पर जनगणना तो होगी, पर जाति आधारित जनगणना संभव नहीं है. जाति आधारित जनगणना आजादी के बाद नहीं हुई है. जाति आधारित जनगणना कराना इसलिए भी संभव नहीं है क्योंकि जातियों की पहचान का काम बहुत ही जटिल है. फिर उसका विश्लेषण करना और भी कठिन है.
Posted by Ashish Jha