रिश्वतखोर राजस्व अधिकारी को दस साल की सजा, दाखिल खारिज के लिए मांगा था 10 हजार

Bribe Case: बिहार के एक घूसखोर राजस्व अधिकारी को दस साल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा उसपर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें कि राजस्व अधिकारी ने दाखिल खारिज को लेकर 10 हजार रुपये घुस के रूप में मांग की थी.

By Abhinandan Pandey | July 2, 2024 10:39 AM
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Bribe Case: विशेष निगरानी न्यायाधीश सुदेश श्रीवास्तव की अदालत द्वारा खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के राजस्व कर्मचारी रहे कैलाश रजक को दस साल की सजा और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है.

न्यायधीश ने पटना निगरानी थानाकांड संख्या 74-16 से जुड़े इस केस की सुनवाई पूरी की. विशेष न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की तीन धाराओं में दोषी पाते हुए दस साल और सात साल की सजा सुनाई. सजा के साथ हीं 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी देने का आदेश दिया.

दोनों सजाएं एकसाथ चलाए जाने की बात आदेश करने के दौरान विशेष न्यायाधीश ने कही है. सरकार की तरफ से अभियोजन का संचालन निगरानी के विशेष लोक अभियोजक रामवदन कुमार चौधरी ने किया.

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ऐसे पकड़ा गया था कर्मचारी

बता दें कि खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड में तैनात राजस्व कर्मचारी कैलाश रजक (Bribery revenue officers news) ने रौन गांव निवासी संदीप कुमार के भाई की जमीन के दाखिल-खारिज और रसीद काटने की एवज में दस हजार रुपये की रिश्वत लेते पटना से आई निगरानी टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था.

इसके लिए शिकायतकर्ता ने निगरानी विभाग को राजस्व कर्मचारी की तरफ से रिश्वत की मांग करने की शिकायत की थी. उक्त शिकायत की जांच करने के बाद शिकायतकर्ता के सहयोग से निगरानी डीएसपी तारणी प्रसाद यादव के नेतृत्व में पहुंची टीम ने राजस्व कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़ लिया.

अभियोजन पक्ष ने केस को सजा के मुकाम तक पहुंचाने के लिए कुल 13 लोगों से गवाही कराई थी. जिनमें प्रमुख गवाह तारिणी प्रसाद यादव तत्कालीन डीएसपी और इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सरोज की गवाही शामिल थी.

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