बिहार में गंगा पर बनेगा एक और पुल, मटिहानी व शाम्हो के बीच पुल निर्माण से कम होगी चार राज्यों के बीच दूरी
बेगूसराय जिले में मटिहानी और शाम्हो के बीच गंगा नदी पर पुल बनाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भारतमाला परियोजना के तहत इसे प्राथमिकता के आधार पर चयन किया है. इसके डीपीआर को मंजूरी देते हुये निर्माण के लिए आगे की कार्रवाई करने का अधिकारियों को निर्देश दिया है.
पटना. बिहार में गंगा नदी पर एक और पुल का निर्माण किया जायेगा. बेगूसराय जिले में मटिहानी और शाम्हो के बीच गंगा नदी पर पुल बनाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भारतमाला परियोजना के तहत इसे प्राथमिकता के आधार पर चयन किया है. इसके डीपीआर को मंजूरी देते हुये निर्माण के लिए आगे की कार्रवाई करने का अधिकारियों को निर्देश दिया है.
टेंडर नवंबर तक जारी होने की संभावना
अब इस पुल को बनाने वाली निर्माण एजेंसी के चयन के लिए टेंडर नवंबर तक जारी होने की संभावना है. साथ ही पुल का निर्माण नये साल की शुरुआत के साथ ही शुरू होने की संभावना है. इस पुल का निर्माण अगले पांच वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार में गंगा पर बननेवाला यह नौवां पुल होगा. इससे पहले बिहार में गंगा पर अब तक आठ पुलों का निर्माण हो चुका है या हो रहा है.
चार राज्यों के बीच दूरी होगी कम
करीब 4900 करोड़ रुपये लागत के इस पुल को बनने से उत्तर बिहार और बंगाल, उत्तर बिहार और झारखंड सहित ओड़िशा की दूरी करीब 76 किमी कम हो जायेगी. इस पुल को आगे बढ़ाकर एनएच-31 और एनएच-80 मिलाया जाएगा. इस पुल के अलाइनमेंट में छोडा, बहादुरपुर, हंसपुर, बलहपुर, अकबरपुर, बिजुलिया, लधौना, साम्हो, कसोई, अलीनगर, रतनुपुर, बलथुआ, पवई और उरैन शामिल हैं. इस पुल के निर्माण में करीब 185 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा.
परसरमा से अररिया तक फोरलेन का होगा निर्माण
इधर, परसरमा से अररिया तक एनएच 327 ई की चौड़ाई बढ़ाकर उसे फोरलेन करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सहित एनएचएआई ने प्राथमिकता के आधार पर चयन किया है. एनएच 327 ई के अररिया से परसरमा तक का चौड़ीकरण फोरलेन में हो जाने से सुपौल, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी, दरभंगा और सहरसा जिला के लोगों को बंगाल और नार्थ ईस्ट जाने में लगभग 80 किमी दूरी की बचत होगी.
राजमार्ग मंत्रालय ने मंजूरी दी
इसका डीपीआर बनाने के लिए पिछले दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मंजूरी दी थी. यह सड़क अभी एनएच के दो लेन पेभ्ड सोल्डर के आधार पर बना हुआ है, लेकिन भविष्य में इस पर यातायात का भारी दबाव बढ़ने की संभावना हैं. इसको देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है.