बिहार में पटना सहित करीब 23 जिलों के ग्रामीण इलाकों में नाबार्ड की मदद से मार्च 2024 तक करीब 250 पुल-पुलिया बनाने की योजना है. इसके लिए ग्रामीण कार्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इन सभी का एस्टीमेट बन रहा है, लेकिन एस्टीमेट की तकनीकी जांच एनआइटी पटना या एमआइटी मुजफ्फरपुर से करवाने का निर्देश दिया गया है. एनआइटी पटना या एमआइटी मुजफ्फरपुर से एस्टीमेट को सही पाये जाने के बाद ही इन पुल और पुलिया के निर्माण की राशि जारी होगी.
सूत्रों के अनुसार सर्वेक्षण के दौरान 23 जिलों के ग्रामीण इलाकों में कई जगहों पर आवाजाही में परेशानी थी. लोगों को लंबी दूरी तय कर एक- जगह से दूसरी जगह जाना पड़ रहा था. ऐसे में विभाग ने पुल-पुलिया बनाने की जरूरत वाले जगहों को चिह्नित किया. ग्रामीण कार्य विभाग ने योजना तैयार कर लोन के लिए इसका प्रस्ताव नाबार्ड को भेजा. इसकी शुरुआती जांच के बाद नाबार्ड ने सहमति दी और एस्टीमेट की मांग की है. अब इन सभी के एस्टीमेट को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है.
इन पुल- पुलियों का निर्माण राजधानी पटना सहित मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बक्सर, भाेजपुर, सारण, किशनगंज, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा, अरवल, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, मोतिहारी, मधुबनी, मधेपुरा, कैमूर, पूर्णिया, कटिहार, वैशाली, बांका, मुंगेर और नालंदा में होना है.
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ग्रामीण कार्य विभाग ने पुल-पुलिया के बेहतर निर्माण के लिए एनआइटी पटना या एमआइटी मुजफ्फरपुर से मदद लेने का प्रावधान किया है. इसके लिए इन तकनीकी संस्थानों को प्रत्येक पुल या पुलिया के एस्टीमेट की जांच के लिए उचित फीस दी जायेगी. सूत्रों की मानें तो एस्टीमेट में पुल निर्माण से जुड़े हर पहलुओं की जानकारी की बारीकी से इन संस्थानों के विशेषज्ञ जांच करेंगे. उनकी अनुशंसाओं को विभाग के इंजीनियर निर्माण के दौरान लागू करवायेंगे. यदि जरूरत पड़ी तो विशेषज्ञ इंजीनियरों द्वारा निर्माण का स्थल निरीक्षण भी करवाया जायेगा .