Explainer: बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड पटना की ओर से फौकानिया व मौलवी परीक्षा का 10 जुलाई से आरंभ हुआ है. राज्य में परीक्षा जारी है. इस परीक्षा में बिहार बोर्ड के कई नियमों को लागू किया गया है. परीक्षा केंद्र में छात्रों को आधा घंटा पहले तो पहुंचना ही है. इसके साथ ही परीक्षा में स्मार्ट घड़ी पर रोक लगा दी गई है. परीक्षा में 58,363 छात्र शामिल हो रहे है. मदरसा अपनी पढ़ाई को लेकर कई बार चर्चा में बना रहता है. इसके शिक्षा को लेकर चर्चा की जाती है. मदरसा की एक शिक्षा व्यवस्था होती है. इसमें प्राइमरी, सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी या स्नातक के आधार पर पढ़ाई की जाती है.
मदरसा की पढ़ाई में प्राइमरी बोर्ड को तहतानिया कहते है. वहीं, जूनियर हाई स्कूल स्तर को फौकानिया के नाम से जाना जाता है. इसके आगे की पढ़ाई को आलिया कहते है. मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल की पढ़ाई आलिया स्तर पर की जाती है. बता दें कि मुंशी और मौलवी की डिग्री दसवीं क्लास के बराबर होती है. मालूम हों कि देश के पहले राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद और मुंशी प्रेमचंद ने मदरसे से तालीम हासिल की थी. मदरसा में आलिम की डिग्री 12वीं के बराबर की डिग्री होती है.
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यहां स्नातक को कामिल कहा जाता है. जबकि, पोस्ट ग्रेजुएशन को फाजिल के नाम से जानते है. मुंशी यानि की दसवीं में थियोलॉजी, अरबी साहित्य, फारसी साहित्य, उर्दू, अंग्रेजी और हिन्दी आदि विषयों की पढ़ाई होती है. आलिम यानि बारहवीं में थियोलॉजी, गृह विज्ञान, हिन्दी, लॉजिक और फिलासफी, सामान्य अध्ययन, विज्ञान, अरबी साहित्य, फारसी, अंग्रेजी आदि विषय है. इसके अलावा कामिल या स्नातक में फारसी साहित्य, अरबी साहित्य सहित कई विषयों की पढ़ाई होती है.
Published By: Sakshi Shiva