Budget 2021 : सरकारी बजट को खर्च करने में हेल्थ सेक्टर हांफने लगा है. परिणाम जो सुविधा अस्पताल में मरीजों को मिल सकती थी वह नहीं मिल पायी. कोई बजट का 10 प्रतिशत खर्च कर पाया, तो कोई लगभग 80 प्रतिशत. इस लापरवाही से सरकारी अस्पताल का रंग रूप तो नहीं बदला न ही सुविधा को विस्तार मिला, जिसका असर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर पड़ा. जिस रोग का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संभव था उसके लिए मरीज को मायागंज अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
बजट करोड़ का खर्च कुछ लाख- पीएचसी, सीएचसी और रेफरल अस्पताल में सुविधा, संसाधन समेत अन्य चीजों के लिए स्वास्थ्य समिति फंड उपलब्ध कराती है. यह करोड़ों में होता है. सोच स्पष्ट है इस फंड का प्रयोग केंद्र अपने संसाधन को बढ़ाने के लिए करे. करोड़ों में मिले इस फंड को सेंटर खर्च करने में हांफने लगे हैं. लाख प्रयास के बाद भी वित्तीय वर्ष के अंत में कोई 10 प्रतिशत तो कोई 60 प्रतिशत ही खर्च कर पाया है. Budget 2021 LIVE Streaming in Hindi से जुड़ी हर अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
इन लोगों ने इतने फंड का किया प्रयोग- वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए समिति ने फंड रिलीज किया था. इसमें पीएचसी गौराडीह महज फंड का 11 प्रतिशत ही खर्च कर पाया. यही हाल पीएचसी और एसडीएच नवगछिया का रहा. यहां मिले फंड का क्रमश: 34 और 19 प्रतिशत ही खर्च हो पाया. इस फंड का संतोषजनक खर्च करने में एचडीएच कहलगांव, पीएचसी नारायणपुर और सदर अस्पताल रहा. यहां फंड का औसतन 75 प्रतिशत खर्च हुआ. बाकी पीएचसी और एसडीएच भी फंड को खर्च करने में सफल नहीं है. कोई 60 तो कोई 56 प्रतिशत ही फंड का प्रयोग कर पाया.
फंड खर्च होता, तो बढ़ जाती सुविधा- फंड का कैसे प्रयोग करना है किस मद में इसे लगाना है यह दिशा निर्देश भी समिति देती है. यह कुछ सेवा है जिसे हर हाल में उपलब्ध कराना है. इसके अलावा दर्जनों चीजों पर फंड को लगाना है.
1 – अस्पताल में रंग रोगन हो, जिससे यह बेहतर दिखे.
2 – दवा की कमी होने पर फंड से इसकी खरीदारी करे
3 – अस्पताल में इलाज के लिए छोटे उपकरण की खरीदारी
4 – लाभार्थी को कुछ योजना का लाभ लोकल स्तर पर देने के लिए
5 – वाहन जिसका प्रयोग अस्पताल में हाेता है उसे मेंटेन करने के लिए
Posted By : Avinish kumar mishra