पटना. केंद्रीय बजट के प्रावधानों का बिहार को भी लाभ मिल सकेगा. केंद्र सरकार ने बिहार सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल जल योजना को स्वीकार करते हुए 2022-23 में 3.8 करोड़ घरों में कनेकशन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. पीएम आवास योजना में 2022-23 में 80 लाख घर बनाये जाने का प्रावधान किया गया है. बिहार को भी इस योजना का लाभ मिल सकेगा. इसी प्रकार आंकाक्षी जिलों की तर्ज पर आंकाक्षी प्रखंड के भी प्रावधान किये गये हैं. बिहार में भी करीब आधा दर्जन आकांक्षी जिले हैं. जाहिर है बिहार के हिस्से में आकांक्षी प्रखंड का एक हिस्सा आयेगा.
सभी डाकघरों को कोर नेटवर्क से जोड़े जाने की घोषणा वित्त मंत्री ने की है. बिहार को इसका बड़ा लाभ मिल सकेगा. राज्य के सभी डाकघर अभी कोर नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं. वित्त मंत्री की घोषणा से खास कर ग्रामीण इलाकों में लोगों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा. वित्त मंत्री ने देश में 75 डिजिटल बैंकिंग सेक्टर खोले जाने की घोषणा की है. इसका लाभ बिहार को भी मिला है.
बिहार में पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत बड़े पैमाने पर सड़कें बनायी जा रही है. वित्त मंत्री ने 2022-23 में इसके लिए बजट आकार 14 हजार करोड़ से बढ़ा कर 19 हजार करोड़ करने की घोषणा की है. जाहिर है बजट राशि बढ़ने का लाभ बिहार को भी मिल सकेगा. नेशनल एजुकेशन मिशन, पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना और आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत भर बिहार को लाभ मिलने की उम्मीद है.
केंद्र के बजट 2022-2023 में व्यवस्था दी गयी है कि प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना के तहत एक चैनल-एक क्लास योजना का विस्तार किया जायेगा. इसके तहत 200 ई-विद्या टीवी चैनल खोले जाएंगे. इसमें कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चे ऑनलाइन एवं डिजिटल फॉर्म में पढ़ सकते हैं. पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में दी जायेगी. इससे बिहार में मैथिली ,भोजपुरी और अंगिका जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में बड़ी मदद मिलेगी. बिहार में इन भाषाओं की शैक्षणिक सामग्री के कंटेंट पहले से मौजूद हैं.
बिहार में पिछले दो सालों से कक्षा एक से 12 तक के बच्चे मेरा दूरदर्शन-मेरा विद्यालय कार्यक्रम के तहत अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं. अब इसे और गति मिल सकेगी. इस तरह केंद्र ने बिहार की इस योजना को अपनाया है. यह बिहार के लिए बड़ी उपलब्धि है. फिलहाल केंद्रीय बजट में इसके शामिल होने से बिहार में पौने दो करोड़ से अधिक बच्चे लाभान्वित हो सकेंगे. आपदा दौर में यह योजना विशेष रूप से मददगार साबित होगी.
कोविड की वजह से प्रभावित शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. एक डिजिटल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी, जिसमें कई भाषाओं में पढ़ाई होगी. देश की टॉप यूनिवर्सिटी को भी इस प्रोग्राम से जोड़कर शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाएगा. बिहार में पटना विश्वविद्यालय और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय और कुछ प्रोफेश्नल यूनिवर्सिटी को इससे फायदा हो सकता है.
बजट में कहा गया है कि गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कॉरीडोर के दायरे में जैविक अथवा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जायेगा. इससे बिहार को विशेष रूप से फायदा होगा. बिहार में गंगा नदी करीब 500 किलोमीटर लंबाई में बहती है. लिहाजा जैविक खेती होने से गंगा जल की गुणवत्ता पर भी असर आयेगा. विशेषज्ञो के मुताबिक गंगा किनारे रासायनिक खेती होने से न केवल जल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है,बल्कि छोटे जलीय जीवों पर भी विपरीत असर पड़ता है. इस इलाके के हजारों के किसानों को वित्तीय मदद मिल सकेगी.
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बजट में ‘पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान’ के तहत युवाओं को फायदा पहुंचने की बात कही गयी है. इससे स्टार्ट-अप शुरू करने के मौके मिलेंगे. प्लान के तहत निवेश के अवसर बढ़ेंगे. इस योजना के जरिये बिहार में औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित होगा. इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और अमृतसर कलकत्ता इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर यहां से गुजरने की वजह से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
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बजट में मेक इन इंडिया के तहत 60 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की बात कही गयी है, बिहार को इसका विशेष फायदा हो सकता है. यह देखते हुए कि बिहार में युवाओं की आबादी देश में सबसे ज्यादा है. बिहार में इस दिशा में कुछ योजनाओं को वित्तीय मदद मिलेगी.
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आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की समयावधि को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है. इस योजना में एमएसएमई को अतिरिक्त ऋण प्रदान किया जाता है. इससे बिहार की एमएसएमई को फायदा पहुंचने की उम्मीद है. अतिरिक्त कर्ज खासतौर से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को दिया जाएगा. बिहार में इस संदर्भ में विशेष अवसर हासिल हो सकते हैं.
बिहार इसमें काफी काम कर चुका है. प्रदेश में 1486 कानूनों के निरस्त किये जा चुके हैं. जाहिर है कि ईज् आफ डूइंग बिजनेस 2.0 लॉन्च किया जाएगा. इससे लोगों को विभिन्न विभागों की योजनाओं में लाभ लेने में कठिनाई नहीं आयेगी. दरअसल सब कुछ डिजिटल प्लेट फार्म अथवा आन लाइन सेवा मुहैया करायी जायेंगी.
रबी में गेहूं और खरीफ में धान की फसल को एमएसपी पर बिहार में जो किसान बेचते हैं, सीधे उनके खाते में राशि दी जायेगी. बिहार के असंख्य किसान इससे लाभान्वित होंगे.