बिहार में मकान बनाना हुआ 40 प्रतिशत तक महंगा, 20 दिनों में 30 प्रतिशत बढ़ गये इन सामग्रियों के दाम
निर्माण कार्य में महंगाई से लोग परेशान हैं. भवन निर्माण में लगने वाले सामानों की कीमत में अचानक वृद्धि देखी गयी है. 20 दिन के अंदर सभी तरह के निर्माण सामग्री छर्री-बालू, छड़ व सीमेंट की कीमत 30 फीसदी तक बढ़ गयी. बाजार में सीमेंट की किल्लत हो गयी है.
भागलपुर. निर्माण कार्य में महंगाई से लोग परेशान हैं. भवन निर्माण में लगने वाले सामानों की कीमत में अचानक वृद्धि देखी गयी है. 20 दिन के अंदर सभी तरह के निर्माण सामग्री छर्री-बालू, छड़ व सीमेंट की कीमत 30 फीसदी तक बढ़ गयी. बाजार में सीमेंट की किल्लत हो गयी है.
बिल्डर्स एवं आम लोगों को मकान बनाने में 40 फीसदी तक महंगाई की मार पड़ रही है. रंजना इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोपराइटर हर्ष अग्रवाल ने बताया कि कच्चे माल की अनुपलब्धता के कारण बाजार में पहले से सीमित सीमेंट आ रहा है.
उन्होंने बताया कि पहले प्रति माह सीमेंट 80 हजार मैट्रिक टन की बिक्री होती थी, तो कंपनी की ओर से 90 हजार मैट्रिक टन भेजा जाता था. अब 80 हजार टन ही भेजा जा रहा है. वहीं एमपी बिड़ला के पदाधिकारी ने बताया कि मांग के अनुसार प्रोडक्शन नहीं होने पर लोगों को सीमेंट कम पड़ रहा है.
क्रेडाई के प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने बताया कि डीजल के दाम बढ़ने, ओवर लोडिंग पर रोक लगने, बड़ी कंपनियों द्वारा समूहीकरण आदि कई कारणों से पिछले दिनों निर्माण सामग्री के कीमत में उछाल देखी गयी है.
आलोक अग्रवाल ने कहा कि भवन निर्माण में लागत बढ़ रही है. इस कारण फ्लैटों की कीमत में भी वृद्धि होगी. सरकार एक तरफ सब को आवास देने की घोषणा करती है, मगर दूसरी तरफ निर्माण समग्रियों के कीमत में नियंत्रण नहीं कर पा रही है.
निर्माण सामग्री 20 दिन पहले की कीमत वर्तमान कीमत
सीमेंट “280-350 बोरी “310-380 बोरी
छड़ “4000-5500 क्विंटल “5000-6000 क्विंटल
छर्री “4800 प्रति सीएफटी ” 5500 प्रति सीएफटी
बालू “3800 ट्रैक्टर “4400 ट्रैक्टर
अलीगंज आनंद मार्ग कॉलोनी के समीप पंकज कुमार सिंह एक कट्ठा जमीन में अपना मकान बनवा रहे हैं. उनका कहना है कि सामान्य मकान बनाने के लिए पांच से सात लाख का लक्ष्य रखे थे, लेकिन जिस तरह से निर्माण सामग्री की कीमत बढ़ रही है, उससे लगता है कि अब सात से नौ लाख रुपये तक खर्च आयेंगे. मकान निर्माण का काम पूरा होने में अब एक साल लग जायेगा. पहले भी किसी तरह पैसा जुटा रहे थे. अब तो बिना ठहरे मकान नहीं बनवा सकेंगे.
Posted by Ashish Jha