बक्सर के चौसा थर्मल पावर प्लांट का दिसंबर में होगा ट्रायल, जानें कब से मिलने लगेगी बिहार को 561 मेगावाट बिजली
इससे कुल मिलाकर 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. आगे बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2000 मेगावाट तक करने की तैयारी है. अधिकारियों ने इस बिजली घर का निर्माण अंतिम चरण में होने की बात कहते हुए साल के अंत तक उत्पादन का ट्रायल शुरू होने की उम्मीद लगायी है.
पटना. बक्सर के चौसा थर्मल पावर प्लांट से मार्च 2024 तक कॉमर्शियल बिजली का उत्पादन होने लगेगा. 1320 मेगावाट की दो यूनिट में से पहली 660 मेगावाट की यूनिट से बिहार को 561 मेगावाट बिजली मिलेगी. इससे कुल मिलाकर 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. आगे बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 2000 मेगावाट तक करने की तैयारी है. अधिकारियों ने इस बिजली घर का निर्माण अंतिम चरण में होने की बात कहते हुए साल के अंत तक उत्पादन का ट्रायल शुरू होने की उम्मीद लगायी है.
प्लांट में 660-660 मेगावाट के दो यूनिट बनेंगे
मिली जानकारी के मुताबिक चौसा थर्मल पावर प्लांट का निर्माण सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) कर रहा है. इसको लेकर बिहार सरकार ने एसजेवीएन से 17 जनवरी 2013 को करार किया था. प्लांट में 660-660 मेगावाट के दो यूनिट बनेंगे, जिसकी पहली यूनिट इसी वित्तीय वर्ष में चालू होने की उम्मीद लगायी जा रही है. 1283 एकड़ में बन रहे इस बिजली घर में 30 प्रतिशत तक विदेशी कोयला का उपयोग होगा. 2008 में इस परियोजना की लागत 6791 करोड़ आंकी गयी थी, जो मई 2014 में बढ़ कर 9591 करोड़ और अभी 10 हजार करोड़ से अधिक हो गयी है.
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प्लांट से निर्मित 85 फीसद बिजली राज्य सरकार को दी जानी है
बक्सर के इस प्लांट से निर्मित 85 फीसद बिजली राज्य सरकार को दी जानी है, बाकी 15 फीसद पर निर्माता कंपनी का हक होगा. इसे एसटीपीएल बाजार दर पर बेच सकेगा. यहां लगभग 14 करोड़ रुपये कीमत की बिजली का उत्पादन हर रोज किया जा सकेगा. इसे वर्ष 2021 में ही शुरू करना था, लेकिन कोरोना महामारी और भू-अर्जन की दिक्कतों से देरी होती गई. अब बिजली घर के मुख्य परिसर में काम सुचारु तरीके से चल रहा है. कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि अगले साल मार्च तक इस प्लांट का उद्घाटन हो जाएगा.
उत्पादन लागत 2.55 रुपये आंकी गयी थी जो अभी 4.19 रुपये प्रति यूनिट हो गयी
बिजली घर पर काम शुरू होने के समय उत्पादन लागत 2.55 रुपये आंकी गयी थी जो अभी 4.19 रुपये प्रति यूनिट हो गयी है. पहली यूनिट के शुरू होने के छह महीने के भीतर 660 मेगावाट की दूसरी यूनिट भी शुरू हो जायेगी. बिजली घर को गंगा नदी से पानी मिलेगा. बक्सर-नौबतपुर, बक्सर-डुमरांव, बक्सर-कर्मनाशा और बक्सर-डिहरी से बिजली की निकासी होगी. अधिकारियों के मुताबिक चौसा बिजली घर बनने से बिहार में बिजली की मांग और आपूर्ति में होने वाली कमी भी दूर हो जायेगी. चौसा बिजली घर शुरू होने से खुले बाजार की निर्भरता कम हो जायेगी.
11 हजार करोड़ है निर्माण लागत
साल 2012-13 में इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. बक्सर जिले के चौसा में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1058 हेक्टेयर भूमि पर इसका निर्माण हो रहा है. वर्ष 2015 में इसके निर्माण की जिम्मेवारी भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की संयुक्त स्वामित्व वाली मिनी रत्न कंपनी सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) को दी गई. एसजेवीएन ने इस परियोजना के लिए 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली कंपनी एसजेवीएन थर्मल पावर लिमिटेड (एसटीपीएल) का गठन किया. बीच में यह परियोजना फंसती दिखी, लेकिन साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी.
रेल कॉरिडोर व वाटर पाइप लाइन की जमीन पर फंसा है पेंच
बिजली घर तक कोयला लाने के लिए रेलवे लाइन और गंगा से पानी लाने के लिए पाइपलाइन की जमीन पर काम करने से किसान रोक रहे थे. इस समस्या के निदान के लिए कंपनी और स्थानीय प्रशासन की ओर से किसानों से बातचीत की. कंपनी ने वैकल्पिक इंतजाम किये. चौसा में निर्माण होने वाले पावर प्लांट से बिहार को बिजली में आत्मनिर्भरता तो हासिल होगी ही साथ ही आसपास के इलाके की चौतरफा उन्नति होगी. केवल नौकरी ही नहीं, बल्कि रोजगार के ढेरों अवसर सामने आएंगे.