जर्जर भवन में पढ़ते हैं बच्चे, टपकता है पानी
प्रखंड मुख्यालय के पुराने भवन में हो रहा संचालन एक ही भवन में पढ़ाई, रसोईघर, स्टोर रूम व बरामदे में ऑफिस राजपुर : प्रखंड मुख्यालय परिसर में ही मौजूद चरवाहा प्राथमिक विद्यालय आज तक अपने भवन के लिए मुहताज है. राज्य में बेहतर शिक्षा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास […]
प्रखंड मुख्यालय के पुराने भवन में हो रहा संचालन
एक ही भवन में पढ़ाई, रसोईघर, स्टोर रूम व बरामदे में ऑफिस
राजपुर : प्रखंड मुख्यालय परिसर में ही मौजूद चरवाहा प्राथमिक विद्यालय आज तक अपने भवन के लिए मुहताज है. राज्य में बेहतर शिक्षा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास के बाद भी आज तक इस विद्यालय के लिए अपना भवन नसीब नहीं हो सका है.
इस कारण आज भी इस विद्यालय के छात्र-छात्राएं जर्जर भवन में पढ़ने को विवश हैं. इस भवन के किसी भी कमरे में खिड़कियां नहीं हैं. सब टूट फूट गयी हैं. विदित हो कि इस विद्यालय की स्थापना राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासन काल में हुई थी, जिसमें वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई की जाती है. इस विद्यालय में 100 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिसमें क्षेत्र के मकोरियाडिह, तिलकुराय के डेरा सहित कई अन्य छोटे-छोटे गांवों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं.
लेकिन, सरकार ने इस विद्यालय की व्यवस्था में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया. सबसे बड़ी बात है कि इस वर्ष ही 30 जनवरी को सात निश्चय यात्रा के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां आये थे. लेकिन, इस विद्यालय के बारे में किसी ने जानकारी देना उचित नहीं समझा. इसलिए यह विद्यालय आज भी उपेक्षा का शिकार है. यह विद्यालय फिलहाल प्रखंड मुख्यालय के प्राचीन भवन में चल रहा है, जो बहुत जर्जर हो चुका है. कभी भी ध्वस्त हो सकता है, फिर भी कोई ध्यान नहीं है.
विद्यालय को खाली करने के लिए भी कई बार मिला आदेश : इस परिसर में चलने के कारण प्रखंड के बीडीओ द्वारा पहले भी विद्यालय को कहीं स्थानांतरित करने की बात कही गयी है. लेकिन, इसके बाद भी विद्यालय को जगह नहीं मिलने से इसी में चल रहा है. इस बार भी शौचालय बनाने के लिए ईंट गिराया गया था, लेकिन प्रखंड की जमीन होने से अधिकारियों ने शौचालय निर्माण पर रोक लगा दी.
चहारदीवारी नहीं होने से बना है चरागाह : इस विद्यालय के पास कोई चहारदीवारी नहीं है. चारों तरफ खुला रहने से परिसर पशुओं के लिए चरागाह बना हुआ है. खुला रहने से अक्सर असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ की जाती है.
स्वच्छता अभियान के बाद भी नहीं बना शौचालय
सरकार द्वारा विद्यालय की गुणवत्ता में सुधार के लिए पेयजल, भवन सहित अन्य सारी सुविधाएं होनी चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के बाद भी इस विद्यालय के लिए शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है.
स्वच्छता का संदेश देने वाले अधिकारी भी इस विद्यालय की ओर नहीं देखते हैं. विडंबना ही है कि जिलाधिकारी रमण कुमार खुद शौचालय की मॉनीटरिंग कर रहे हैं. लेकिन, प्रखंड परिसर में चलने वाला विद्यालय इससे अछूता है. यहां तक कि मध्याह्न भोजन बनाने का स्थान पठन-पाठन कक्ष से दूर रहना चाहिए, लेकिन इसी कमरे में खाना भी बनता है.
साथ ही एक कमरे में लकड़ी और गोइठा रखा गया है, जबकि इस विद्यालय का कार्यालय बरामदे में चलता है. इस विद्यालय में दो शिक्षिकाएं हैं, जो शिक्षा देने के लिए पर्याप्त हैं. लेकिन, जर्जर भवन के कारण बारिश होने पर पानी टपकने लगता है, जिसकी वजह से छात्रों को इधर-उधर बैठा कर पढ़ाया जाता है.
विद्यालय एक नजर में
कक्षा एक से पांच तक में छात्र-छात्राओं की संख्या : 100
कक्षा एक से पांच तक में छात्रों की संख्या : 60
कक्षा एक से पांच तक में छात्राओं की संख्या : 40
विद्यालय में शिक्षकों की संख्या : 02
बिजली, शौचालय नदारद
चापाकल : एक
हादसे की आशंका से शिक्षक व बच्चे डरे रहते हैं
विद्यालय की सभी समस्याओं से अधिकारी अवगत हैं. कई बार शिक्षा विभाग को लिखित और मौखिक तौर पर जगह बदलने की बात कही गयी है. जर्जर भवन के बारे में भी कहा गया है. लेकिन, इसके बाद भी एक ही भवन में सब कुछ चल रहा है. हादसे की आशंका से शिक्षक और बच्चे डरे रहते हैं. चारों तरफ खेत होने से हमेशा सांप-बिछुओं का भी डर बना रहता है.
पूनम कुमारी, प्रधानाध्यापक