701 छात्रों पर महज एक चापाकल

अनदेखी. बेंच-डेस्क के अभाव में फर्श पर बैठ अपनी तकदीर संवार रहे बच्चे चौसा : शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दावे के बाद भी विद्यालयों की व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकी है. इसका उदाहरण चौसा प्रखंड के सरेंजा राजकीय बुनियादी विद्यालय में देखने को मिल रहा है. कमरे के अभाव में बच्चे फर्श पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2017 6:27 AM

अनदेखी. बेंच-डेस्क के अभाव में फर्श पर बैठ अपनी तकदीर संवार रहे बच्चे

चौसा : शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के दावे के बाद भी विद्यालयों की व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकी है. इसका उदाहरण चौसा प्रखंड के सरेंजा राजकीय बुनियादी विद्यालय में देखने को मिल रहा है. कमरे के अभाव में बच्चे फर्श पर बैठ पढ़ रहे हैं. यहां पर न तो समुचित कमरा है और न ही पेयजल की समुचित व्यवस्था. सैकड़ों छात्रों के लिए महज एक शौचालय व एक चापाकल लगा हुआ है. गांव से सटे उक्त विद्यालय के कैंपस की घेराबंदी नहीं होने के चलते विद्यालय बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग रहता है. देर रात तक बैठकर ताश व जुआ खेलते हैं. असामाजिक तत्वों ने विद्यालय के अधिकांश कमरों के खिड़की व दरवाजे को तोड़ दिये हैं.
कई चापाकलों के हैंडिल को तोड़ दिये हैं, जिससे विद्यालय प्रबंधन काफी परेशान है. घनी आबादीवाले उक्त गांव के अलावे आधा दर्जन से उपर गांवों के बच्चों का नामांकन इस विद्यालय में है. यहां नामांकित छात्रों की संख्या 701 है, जिसमें 346 छात्र व छात्राओं की संख्या 355 है. विद्यालय में एचएम समेत दस शिक्षक प्रतिनियुक्त हैं, जिसमें दो शिक्षक दो वर्षीय प्रशिक्षण लेने चले गये हैं. जबकि सरकार के अनुसार संख्या के आधार पर विद्यालय में 20 शिक्षक होने चाहिए. विद्यालय में आठ कमरे हैं : विद्यालय में आठ कमरे हैं, लेकिन अधिकांश कमरों की खिड़की व दरवाजे को असमाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है. शिक्षकों की कमी के चलते कक्षा एक से तीन तक के बच्चों की पढ़ाई संयुक्त रूप से चलती है.
नहीं है बेंच व डेस्क : विद्यालय में महज 20 बेंच-डेस्क हैं. कक्षा आठ की छात्र-छात्राएं ही बेंच व डेस्क पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. बेंच-डेस्क की कमी के चलते वर्ग छह व सात के सैकड़ों बच्चों को फर्श पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. इतने बच्चों की प्यास बुझाने के लिए एक मात्र चापाकल है, जिसका पानी भी पीने लायक नहीं है. बच्चों का एमडीएम बनाने के लिए रसोइयों को गांव में जाकर डिब्बा में पानी लाना पड़ता है. सैकड़ों छात्र-छात्राओं के लिए मात्र एक शौचालय है, जिससे खासकर छात्राओं को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है. विद्यालय कैंपस में ही एक बड़ा गड्ढा है, जिसमें गांव के नाले का पानी गिरने से जलजमाव हो गया है. गंदा पानी लगे रहने से बच्चों में संक्रमित बीमारी फैलने की बराबर आशंका बनी रहती है. विद्यालय कैंपस की समुचित घेराबंदी नहीं होने से भवनों के पिछे उगे झाड़ व बड़े-बड़े घास के चलते विषैले जीव जंतुओं के कैंपस में घुसने का बराबर भय बना रहता है.
समस्या से अवगत हैं अधिकारी
विद्यालय में शौचालय, पेयजल, बेंच-डेस्क व शिक्षकों की कमी से विभाग को अवगत करा दिया गया है.चहारदीवारी नहीं होने से गांव के असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. विद्यालय की संपत्ति को बराबर क्षतिग्रस्त करते रहते हैं. विद्यालय में जलजमाव की समस्या से निजात को लेकर गढ्डे की भराई करने के लिए पंचायत के मुखिया से संपर्क किया गया है.
अभय नारायण सिंह, हेडमास्टर
एक नजर में
विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या-701
विद्यालय में छात्र की संख्या-346
विद्यालय में छात्राओं की संख्या-355
विद्यालय में चापाकल की संख्या-1
विद्यालय में शौचालय की संख्या-2
विद्यालय में शिक्षकों की संख्या-10

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