इतिहास को जीवित रखनेवाला स्तंभ खुद ही बन रहा इतिहास

बक्सर : इतिहास को जीवित रखने के लिए जिस स्तंभ का निर्माण किया गया है, वह स्तंभ आज इतिहास बनने के कगार पर पहुंच गया है. मामला जिला मुख्यालय से सटा बक्सर की लड़ाई के मैदान का है. भारतीय इतिहास में परिवर्तन करनेवाली इस लड़ाई के इतिहास को जीवित रखने के लिए आधुनिक एक ऊंचे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2017 9:49 AM
बक्सर : इतिहास को जीवित रखने के लिए जिस स्तंभ का निर्माण किया गया है, वह स्तंभ आज इतिहास बनने के कगार पर पहुंच गया है. मामला जिला मुख्यालय से सटा बक्सर की लड़ाई के मैदान का है. भारतीय इतिहास में परिवर्तन करनेवाली इस लड़ाई के इतिहास को जीवित रखने के लिए आधुनिक एक ऊंचे स्तंभ का
निर्माण कराया गया है,लेकिन यह स्तंभ अपने निर्माण के महज तीन साल में ही गिरने के कगार पर पहुंच चुका है.नये स्तंभ के निर्माण के समय पुराने व अति सुंदर व्यवस्थित अवशेष को भी धाराशायी कर दिया गया. बक्सर नगर से सटे कतकौली के मैदान में अंग्रेजों की भारत में भाग्योदय हुआ था, जिसको लेकर अंग्रेजों ने विजय गाथा के कड़ी के रूप में एक विशाल स्तंभ का निर्माण कराया था. जिसे बाद में भारतीयों ने इसे अपमान समझकर तोड़ दिया था.
लाखों रुपये से हुआ था निर्माण
इतिहास को जीवित रखने के लिए तत्कालीन सदर विधायक सुखदा पांडेय ने अपना फंड दिया था. स्तंभ का निर्माण लगभग 14 लाख रुपये से हुआ है. इसका निर्माण भवन विभाग से कराया गया था. इतिहास को संरक्षित करने के लिए जिस स्तंभ को बनाया गया है, वह अब किताबों के पन्नों में सिमटने लगा है.
नये के चक्कर में पुराना अवशेष भी हुआ नष्ट
नये स्तंभ को बनाने के लिए पुराने व मजबूत अंग्रेजों के बनाये गये विजय स्तंभ के अवशेष को भी संवेदकों ने नष्ट कर दिया. स्थानीय लोगों एवं इतिहासकारों के हस्तक्षेप के बाद आनन-फानन में संवेदक ने तोड़े गये अवशेष को किसी तरह भर दिया. पुराने स्तंभ के मूल अस्तित्व को ही बदल दिया, लेकिन नये स्तंभ का भी हाल अब खराब है.
निर्माण में हुआ घटिया सामग्री का इस्तेमाल
बक्सर में अंग्रेजों एवं अवध नवाब के बीच युद्ध हुआ था, जिसके बाद भारत में अंग्रेजों का साम्राज्य का मार्ग प्रशस्त हो गया. इसे जीवित रखने के लिए अंग्रेजों ने एक विशाल विजय स्मारक का निर्माण करवाया था. जो अब जीर्ण-शीर्ण स्थिति में आ गया है. इसको जीवित रखने के लिए तत्कालीन विधायक सुखदा पांडेय के नेतृत्व में एक विशाल नये स्तंभ कानिर्माण कराया गया. घटिया निर्माण सामग्री की वजह से निर्मित स्तंभ चारों तरफ से टूटना शुरू हो गया है. घटिया निर्माण की वजह से स्तंभ खुद ही इतिहास बनने जा रहा है.

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