548 दिनों में 142 नशेड़ियों का हुआ इलाज

डी-एडिक्शन के प्रशिक्षित डॉक्टर मरीजों के अभाव में दे रहे हैं सामान्य ओपीडी में सेवा बक्सर : शराबबंदी कानून आने के साथ बक्सर सदर अस्पताल में बने वातानुकूलित डी-एडिक्शन सेंटर के बेड मरीजों के इंतजार में हमेशा खाली पड़े रहते हैं. पिछले 548 दिनों में मात्र 142 नशेड़ी ही इलाज के लिए इस सेंटर पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2017 9:38 AM
डी-एडिक्शन के प्रशिक्षित डॉक्टर मरीजों के अभाव में दे रहे हैं सामान्य ओपीडी में सेवा
बक्सर : शराबबंदी कानून आने के साथ बक्सर सदर अस्पताल में बने वातानुकूलित डी-एडिक्शन सेंटर के बेड मरीजों के इंतजार में हमेशा खाली पड़े रहते हैं. पिछले 548 दिनों में मात्र 142 नशेड़ी ही इलाज के लिए इस सेंटर पर पहुंचे हैं. इनमें कुछ मरीजों को दो से तीन दिनों तक ही इलाज के लिए भर्ती कराया गया, उसके बाद उन्हें घर भेज दिया गया.
इस सेंटर की स्थिति ऐसी है कि शुरू के दिनों में नशा के आदि मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था. धीरे-धीरे यहां मरीजों का आना बहुत कम हो गया है. वर्तमान में महीने में तीन-चार मरीजों ही केंद्र पर इलाज के लिए लाया जाता है. इसके लिए निर्धारित व प्रशिक्षित डॉक्टर सामान्य ओपीडी में अपनी सेवाएं देने लगे हैं. शराबबंदी कानून बनने के बाद सदर अस्पताल में 10 लाख रुपये खर्च कर डी-एडिक्शन सेंटर का निर्माण कराया गया. इस सेंटर में सात आरामदायक बेड लगाये गये हैं. वार्ड वातानुकूलित है. मरीजों के मनोरंजन के लिए एक टेलीविजन भी लगाया गया है. मरीजों के लिए दवाओं का भी प्रबंध रखा गया है.
नशा के आदि लोगों का आउटडोर और इन डोर में इलाज के साथ-साथ शराब की लत छुड़ाने के लिए काउंसेलिंग भी की गयी. शराब के सेवन से होनेवाली बीमारियों, खतरे और स्वास्थ्य पर पड़नेवाले कुप्रभाव के बारे में बताया गया. नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया. इस डी-एडिक्शन सेंटर पर नशा के आदि मरीजों के इलाज और नशा छुड़ाने के लिए सरकार डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर लाखों रुपये हर माह खर्च कर रही है.
इतना खर्च के बाद भी डी-एडिक्शन सेंटर से संबंधित सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. ओपीडी में भी अब मरीज नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके कारण अस्पताल प्रबंधन कमियों एवं डॉक्टरों की सेवा अन्य जगहों पर लेने को विवश हो गया है. सदर अस्पताल के डी- एडिक्शन सेंटर के वार्ड में पिछले 18 माह के दौरान नशा के आदि 142 मरीजों का इलाज किया गया. इसी तरह इस केंद्र के ओपीडी में भी मरीज न के बराबर पहुंचे. दवाओं का भंडारण रखा गया है. यहां इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा देने की व्यवस्था की गयी है. इसके लिए सदर अस्पताल के एक डॉक्टर को विशेष रूप से प्रशिक्षित कराया गया है.
डॉ. ब्रज कुमार सिंह, सीएस

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