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बक्सर : भारी हेराफेरी, आखिर कहां गया 122 स्कूलों का 1605 क्विंटल चावल ?

बक्सर में मध्याह्न भोजन में दो करोड़ 40 लाख रुपये की हेराफेरी जिलाधिकारी ने हेराफेरी की जांच के लिए गठित की टीम, अब तक नहीं मिली रिपोर्ट अप्रैल, मई, जून में शिक्षकों की चली हड़ताल और अवकाश के दौरान भी बना भोजन बक्सर : बक्सर जिले के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है […]

बक्सर में मध्याह्न भोजन में दो करोड़ 40 लाख रुपये की हेराफेरी
जिलाधिकारी ने हेराफेरी की जांच के लिए गठित की टीम, अब तक नहीं मिली रिपोर्ट
अप्रैल, मई, जून में शिक्षकों की चली हड़ताल और अवकाश के दौरान भी बना भोजन
बक्सर : बक्सर जिले के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि हड़ताल और अवकाश में भी स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन परोसा जा रहा है. मध्याह्न भोजन बनाने की बात कह जिले में दो करोड़ 40 लाख रुपये के चावल की हेराफेरी कर ली गयी है. यही नहीं चावल के उठाव से लेकर विद्यालय में पहुंचाने तक संवेदकों को वाहन भत्ता का भुगतान भी कर दिया गया है. ये सारा खेल सिर्फ कागज पर ही होता रहा.
मामला वर्ष 2015 से जुड़ा हुआ है. जहां बच्चों के निवाले को अधिकारियों, संवेदकों, कर्मचारियों और शिक्षकों की मिलीभगत से दो करोड़ 40 लाख रुपये के चावल का गबन कर लिया गया. सबसे चौकानेवाली बात तो यह है कि इसे पकाने में भी राशि खर्च की गयी है. तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी बक्सर ने जांच के लिए निदेशक मध्याह्न भोजन को पत्रांक संख्या 1865 दिनांक 19 सितंबर, 2015 को लिखकर मामले की जांच कराने का अनुरोध किया.
इसके बाद निदेशक मध्याह्न भोजन बिहार पटना द्वारा डीमए बक्सर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. जिलाधिकारी ने इसके लिए जांच कमेटी का गठन किया है.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा : इसका खुलासा तब हुआ, जब तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी ओंकारनाथ सिंह ने डीपीओ मध्याह्न भोजन से चावल के मैनुअली उपावंटन को लेकर स्पष्टीकरण की मांग की.
जिलाधिकारी ने की जांच टीम गठित : जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा निदेशक को भेजे गये पत्र के बाद निदेशक द्वारा पूरे मामले की जांच के लिए जिला पदाधिकारी बक्सर को अधिकृत किया गया है. डीएम बक्सर के द्वारा जांच के लिए उप विकास आयुक्त बक्सर एवं डीएसओ बक्सर के दो सदस्यीय टीम द्वारा जांच कराने का आदेश दिया गया है.
कैसे हुआ मैनुअल चावल का उपावंटन का खेल : तत्कालीन डीपीओ एमडीएम के पत्रांक 944 दिनांक 20 जुलाई, 2015 के द्वारा सभी प्रखंड साधनसेवियों को मैनुअल चावल की सूची बनाने का आदेश दिया गया था, जिसके तहत प्रखंड साधनसेवियों द्वारा छात्रों की संख्या के आधार पर चावल के वितरण संबंधित विद्यालय वार मैनुअल सूची डीपीओ को उपलब्ध करायी गयी.
प्राप्त सूची के आधार पर ही डीपीओ, डीपीएम, संवेदक, साधनसेवी एवं विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा संयुक्त रूप से चावल का उठाव एवं वितरण की कार्रवाई की गयी. यहां यह बताना जरूरी है कि जुलाई महीने में जिला पदाधिकारी बक्सर के द्वारा बैठक में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्यालय में छात्रों की कम उपस्थिति को देख कर आश्चर्य व्यक्त करने के बाद निर्देशित किया गया कि अभियान चलाकर वैसे छात्र जो विद्यालय में नहीं आते हैं, उनका नाम विद्यालय के नामांकन पंजी से हटा दिया जाये. विभागीय अधिकारियों द्वारा आदेश का सख्ती से पालन करने के बाद लगभग 52 हजार प्रारंभिक विद्यालयों से छात्रों का नाम काटा गया है.
हड़ताल और अवकाश के वक्त भी विद्यालयों में बनता रहा मध्याह्न भोजन : शिक्षा विभाग के कारनामे एक से बढ़कर एक हैं. हड़ताल और अवकाश के वक्त भी चावल का उठाव और मध्याह्न भोजन बच्चों को परोसा गया. यह हम नहीं कह रहे हैं. शिक्षा विभाग के द्वारा वर्ष, 2015 में चावल का एसएफएसी से किये गये उठाव का ब्योरा कह रहा है.
इस दौरान लगभग 16 हजार क्विंटल चावल का उठाव हुआ है, जिसकी राशि दो करोड़ 40 लाख रुपये हो रही है. उस वक्त चावल की कीमत लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल था. विदित हो कि वर्ष, 2015 के अप्रैल, मई में प्रारंभिक शिक्षकों की हड़ताल थी तथा जून महीना में गर्मी की छुट्टी थी. 16 हजार क्विंटल चावल को विद्यालय तक पहुंचाने के लिए संवेदकों को हथालन व्यय के रूप में विभाग द्वारा निर्धारित मात्रा में राशि भी व्यय की गयी.
बक्सर प्रखंड में हैं 122 विद्यालय
बक्सर प्रखंड में 122 विद्यालय हैं, जहां पर मध्याह्न भोजन बनताहै. 2015 में 148 विद्यालय थे, जिनका भवन नहीं होने के कारण उन्हें दूसरे विद्यालयों से टैग कर दिया गया है. बक्सर प्रखंड के अकेले 1605 क्विंटल चावल का मैनुअल उठाव कर विद्यालयों को वितरित किया गया है, जिसका कहीं कोई अता-पता नहीं है.

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