बेमौसम बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर

बक्सर : 26 मार्च को अहले सुबह तेज हवा के साथ हुई बारिश ने रवि फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. इससे वायुमंडल का तापमान काफी नीचे गिर गया है, जिसके कारण गेहूं की बालियों पर गहरा असर पड़ा है. बारिश के साथ तेज हवा की वजह से गेहूं की फसलें गिर चुकी हैं. इनमें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2019 7:04 AM

बक्सर : 26 मार्च को अहले सुबह तेज हवा के साथ हुई बारिश ने रवि फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. इससे वायुमंडल का तापमान काफी नीचे गिर गया है, जिसके कारण गेहूं की बालियों पर गहरा असर पड़ा है. बारिश के साथ तेज हवा की वजह से गेहूं की फसलें गिर चुकी हैं. इनमें दाने हल्के लगेंगे साथ ही कटाई में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

मार्च का महीना भारतीय पृष्ठभूमि में ठंड से लेकर गर्म तक का एक संक्रमण काल होता है. इस समय अनाज के पूरी तरफ पकने से पहले फसल को कम- से- कम 7 से 10 दिनों के लिए तेज धूप और गर्मी की जरूरत होती है. यह गत दो महीने में 14 बार बारिश हुई है. इस बार पश्चिमी विक्षोभ से संपूर्ण बिहार में भी 26 मार्च को तड़के तेज हवाओं के साथ बारिश देखने को मिला.
कृषि विज्ञान केंद्र बक्सर के निकरा परियोजना एसआरएफ भानु प्रताप सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में 17.80 मिलीमीटर तथा कुकुढा स्थित लघु मौसम केंद्र में 7.4 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड किया गया. आकस्मिक वर्षा रबी फसलों गेहूं, चना, जौ, मसूर, मटर, सरसों के साथ ही बागवानी में आम के लिए भी काफी नुकसानदायक हो सकता है.
साथ ही तेज हवा में जो फसलें गिर गयी हैं, उनकी कटाई में भी दिक्कत आयेगी तथा इसका प्रभाव फसल के उत्पादन पर भी पड़ेगा. इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक देवकरण ने बताया कि एक कहावत है कि बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी.
इस कहावत की प्रासंगिकता यहां इसलिए है कि तापमान पर अब बारिश का मौसम लगाम नहीं लगा पायेगा और इस पश्चिमी विक्षोभ के कारण 27 मार्च तक के बाद गर्मी असली रंग में आयेगी.
उत्तर भारत में बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण एक-एक कर हो रही बारिश और उत्तर से आने वाली ठंडी हवाएं गर्मी को रोक रही थी लेकिन यह बातें पुरानी हो जायेंगी.
बेमौसम बारिश से किसानों के रबी की फसलों की क्षति हुई है. सरकार को क्षति के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था करनी चाहिए. ताकि किसानों को परेशानी नहीं हो.
फोटो-22-रमेश चौधरी, केसठ
-वर्षा होने से किसानों के अधिकतर पैदावार बर्बाद हो गया है. राजपुर चना और मसूर की खेती की है. कीट के प्रकोप से पहले ही मसूर 20 प्रतिशत खराब हो चुका है. अब बारिश हो जाने से शेष बचा हुआ मसूर भी अब काला हो जायेगा. इसका बाजार में कोई मूल्य नहीं होगा और चने की फसल भी बर्बाद हो गयी है.
फोटो-23-पतिराम राजभर, किसान तिलकुराय के डेरा राजपुर
इस बार व्यापक पैमाने पर प्याज और चने की खेती की है लेकिन बारिश होने से प्याज की फसल भी खराब हो गयी है. चने की फसल पर लगनेवाला नोनी पानी के गिर जाने से उसमें कीटों का प्रकोप बढ़ जाने से फसल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होने की आशंका है. इस बार बारिश के कारण चना फसल की पैदावार कम होने की उम्मीद है.
फोटो-24-मदन सिंह, किसान, मगरांव राजपुर
बेमौसम बारिश ने फसलों को तबाह कर दिया है. खेत में लगे हमारे गेहूं की फसल भी गिर गयी है, जिनमें स्वस्थ दाने अब लगने की संभावना क्षीण हो गयी है.
फोटो-25- जूही पांडेय, महिला किसान नया भोजपुर

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