हंगामे के बीच अधिवक्ताओं की हड़ताल समाप्त
बक्सर : विगत शुक्रवार से अधिवक्ताओं की चल रही हड़ताल सोमवार को समाप्त कर कर दी गयी. हड़ताल वापस लेने की विधिवत घोषणा की गयी. हालांकि सोमवार को सुबह से ही सोशल मीडिया पर हड़ताल खत्म होने की सूचना वायरल हो रही थी, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा पुस्तकालय भवन में संघ के अध्यक्ष सूबेदार पांडेय […]
बक्सर : विगत शुक्रवार से अधिवक्ताओं की चल रही हड़ताल सोमवार को समाप्त कर कर दी गयी. हड़ताल वापस लेने की विधिवत घोषणा की गयी. हालांकि सोमवार को सुबह से ही सोशल मीडिया पर हड़ताल खत्म होने की सूचना वायरल हो रही थी, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा पुस्तकालय भवन में संघ के अध्यक्ष सूबेदार पांडेय ने दोपहर लगभग 2 बजे बैठक के दौरान किया.
बताते चलें कि न्यायालय के अधिवक्ता चितरंजन सिंह हत्याकांड को लेकर विगत शुक्रवार से नो वर्क पर थे. सोमवार को अधिवक्ताओं के बीच कार्य को लेकर ऊहापोह की स्थिति थी. दोपहर लगभग 12:30 बजे पुस्तकालय भवन में एक बैठक आयोजित की गयी. लगभग 2 घंटे तक चली बैठक में खींचातानी, आरोप-प्रत्यारोप का बोलबाला बना रहा.
अधिवक्ता बोले, कानून का पालन हर हाल में करना चाहिए
कई अधिवक्ता हड़ताल जारी रखने तो कुछ अधिवक्ता हड़ताल समाप्त करने के पक्ष में थे. कई अधिवक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं निकलता है, हड़ताल जारी रहना चाहिए.
अधिवक्ता रामनाथ ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि अधिवक्ताओं को आपसी सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए ताकि सामाजिक गरिमा बनी रहे. अधिवक्ता शिवजी राय ने अपने संबोधन में कहा कि अधिवक्ताओं को मर्यादा में रहकर कार्य करना चाहिए. साथ ही कानून का पालन हरहाल में करना चाहिए.
अधिवक्ता राजीव कुमार राय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए हड़ताल शुरू करने और समाप्त करने पर आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि संघ को यह बताना चाहिए कि क्या वजह है कि हड़ताल को समाप्त किया जा रहा है.
जूनियर अधिवक्ता काफी आर्थिक तंगी में रहते हैं फिर भी चट्टानी एकता का परिचय देने में पीछे नहीं रहते हैं. बाद में संघ के अध्यक्ष सूबेदार पांडेय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हड़ताल की शुरुआत में ही मैंने कहा था कि अगले आदेश तक नो वर्क रखा जायेगा तथा कोई कंडीशन की बात नहीं की गयी थी.
अधिवक्ता शब्द के पहले विद्वान शब्द लगाया जाता है. ऐसे में अधिवक्ताओं को अनुशासन का पालन करना चाहिए,अधिवक्ता कलम चलाते हैं न की लाठी. जिसके बाद उन्होंने हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी. सभा का संचालन अधिवक्ता एवं पत्रकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया.
इस अवसर पर संयुक्त रूप से महासचिव गणेश ठाकुर, कोषाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, अधिवक्ता शेषनाथ सिंह, रवींद्र कुमार रवि, शैलेश कुमार दुबे उर्फ मुन्ना दुबे, निर्मल कुमार मिश्रा उर्फ संजय मिश्रा, राहुल आनंद, विनोद कुमार सिंह, आशुतोष ओझा, कृपा शंकर राय, शिवपूजन लाल, गणपति मंडल, द्वारिकानाथ तिवारी, जितेंद्र कुमार सिन्हा नीरज, राजेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे.