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खेती की लागत बढ़ने से छोटे किसान परेशान

बक्सर : खेती की लागत में लगातार बढ़ोतरी से छोटे किसान काफी परेशान हैं. मॉनसून ने इस बार भी धोखा दे दिया है, जिससे खेती की लागत कई गुना बढ़ गयी है. लागत में कटौती और अच्छी फसल की आशा में बहुत सारे किसान ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं परंतु सरकारी लुभावने घोषणाओं के बावजूद बैंकों […]

बक्सर : खेती की लागत में लगातार बढ़ोतरी से छोटे किसान काफी परेशान हैं. मॉनसून ने इस बार भी धोखा दे दिया है, जिससे खेती की लागत कई गुना बढ़ गयी है. लागत में कटौती और अच्छी फसल की आशा में बहुत सारे किसान ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं परंतु सरकारी लुभावने घोषणाओं के बावजूद बैंकों से किसानों को ऋण उपलब्ध नहीं हो पाता है.

लिहाजा किसान चाहकर भी खेती के लिए ट्रैक्टर नहीं खरीद पाते हैं. बैंकवाले भी कृषि ऋण उपलब्ध कराने में कतराते हैं, जिससे छोटे किसानों के सामने नियम कानून बाधा बनकर खड़ी हो जाती है. बक्सर जिले में दो एकड़ जमीन के मालिक भी ट्रैक्टर खरीदने को आते हैं मगर बैंक उन्हीं को ऋण प्रदान करता है जिनके पास अपनी कम- से- कम चार एकड़ भूमि हो.

कृषि विशेषज्ञों ने भी इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की है कि परिवारों के विभाजन में खेती का बंटवारा होने से एक ओर तो कृषि उपज घट रही है, वहीं दूसरी ओर औसत लागत बढ़ रही है. बैंक अधिकारियों का भी मानना है कि बहुत सारे किसान परिवारों ने पूर्वजों की खेती का बंटवारा उनके पुत्र और संबंधियों में खो जाने से नये ऋण स्वीकृत करने में भूमि प्रावधान आड़े आता है.
मौसम की मार से पीड़ित किसानों को वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने में बैंकों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ी है लेकिन वे भी नियम कायदे में जकड़े हुए हैं. यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक, स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा या कस्बाई व ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर व ऋण मेला आयोजित कर किसानों को ऋण उपलब्ध कराने का भरपूर प्रयास करते हैं परंतु इन शिविरों में छोटे किसान पात्रता व मापदंड खरा न उतरने के कारण मायूस हो जाते हैं.
बैंक अधिकारियों के अनुसार चार एकड़ से कम वाले किसानों को ट्रैक्टर ऋण पर उपलब्ध नहीं कराने का प्रावधान है. छोटे किसान अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनके खेतों से पर्याप्त आय नहीं होती है. जिन किसानों के पास अधिक जमीन है उनका उत्पादन लागत कम पड़ता है. बैंक भी उन्हें ऋण सुविधा उपलब्ध कराने में रुचि लेती है. बक्सर जिले में 75 फीसद किसानों के पास दो एकड़ से कम जमीन है. जिस कारण उन्हें ऋण नहीं मिल पाता है.
किसान मुरली सिंह का कहना है कि एक तो नहरों में पानी नहीं आने से किसानों को डीजल के सहारे रोपे गये धान को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. वहीं खेती की लागत बढ़ने से छोटे किसान अब खेती करने से मुंह फेरने लगे हैं.
क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
बैंक ऑटोमस बॉडी होता है. ये कृषि विभाग के नियंत्रण में नहीं है. इसलिए कृषि विभाग चाहकर भी छोटे किसानों को खेती करने के लिए ट्रैक्टर खरीदने में मदद नहीं कर सकता है.
क्या कहते हैं एलडीएम
किसानों को खेती करने के लिए ट्रैक्टर लेने के लिए दो एकड़ न्यूनतम जमीन का होना जरूरी है. कृषि के नाम पर खेती करनेवाले किसानों को न्यूनतम रिक्वायरमेंट को हर हाल में पूरा करना जरूरी है.
आनंद ओझा, एलडीएम, बक्सर

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