जिले में बिना निबंधन के चल रहे 150 से ज्यादा निजी नर्सिंग होम

आये दिन मरीजों के आर्थिक दोहन के साथ होता है उनके जीवन से खिलवाड़ विभागीय व प्रशासनिक उपेक्षा से गांवों से लेकर शहरों में कुकरमुत्ते की तरह संचालित हो रहे हैं अवैध अस्पताल बक्सर : जिला मुख्यालय से लेकर जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में धड़ल्ले से नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. इनके ऊपर विभागीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2020 5:32 AM
  • आये दिन मरीजों के आर्थिक दोहन के साथ होता है उनके जीवन से खिलवाड़
  • विभागीय व प्रशासनिक उपेक्षा से गांवों से लेकर शहरों में कुकरमुत्ते की तरह संचालित हो रहे हैं अवैध अस्पताल
बक्सर : जिला मुख्यालय से लेकर जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में धड़ल्ले से नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. इनके ऊपर विभागीय कार्रवाई नहीं किये जाने से अवैध अस्पताल का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है, जहां मानकों को दरकिनार कर मरीजों के साथ आर्थिक दोहन के साथ जीवन के साथ प्रतिदिन खिलवाड़ किया जाता है.
बड़ी दुर्घटना होने पर जिला प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग भी संबंधित अस्पतालों पर तत्काल कार्रवाई कर अपना कर्तव्य इतिश्री मान लेता है.
इसके बाद फिर व्यवस्था उसी तरह कायम हो जाता है. जिले में महज छह अस्पतालों का निबंधन है. जबकि जिले में 200 से भी ज्यादा की संख्या में अवैध तरीके से अस्पताल संचालित हो रहे हैं. ये निजी अस्पताल मरीजों का आर्थिक शोषण से लेकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है.
विभागीय सूत्रों की मानें तो यह विभागीय कर्मियों एवं अधिकारियों के संरक्षण में ही चलता है. सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि कई अस्पताल सदर अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में ही चल रहे है. जो सदर अस्पताल इलाज कराने आने वाले मरीजों के बदौलत ही संचालित होता है.
जिले में दुर्घटना होने पर सक्रिय होता है विभाग: जिला मुख्यालय में ही कई बार इन निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इसके बाद परिजनों एवं आम लोगों द्वारा तोड़फोड़ भी की गयी. इसके बाद प्रशासनिक कार्रवाई भी हुई.
मगर कुछ दिनों के बाद वह अस्पताल फिर संचालित होने लगता है. यह सब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों के मिलीभगत से ही संभव हो पाता है.
जिले में निबंधित अस्पतालों के करीब 50 गुना ज्यादा निजी अस्पताल संचालित हो रहे है, जहां प्रतिदिन मरीजों का आर्थिक दोहन के साथ ही उनके जीवन के साथ खिलवाड़ किया जाता है.
पूर्व में रजिस्ट्रेशन कराये निजी अस्पतालों का निबंधन फेल हो चुका है. बावजूद इसके ये अस्पताल बिना रोक-टोक के चल रहे हैं. इसमें वैसे अस्पताल भी शामिल हैं जो डॉक्टर विहीन हैं, पर डॉक्टरों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त का बोर्ड टांगकर अपना धंधा जारी रखे हैं.
गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक फल-फूल रहे हैं अवैध अस्पताल
गांव की गलियों से लेकर शहर के चौक-चौराहों पर अवैध तरीके से चल रहे निजी अस्पतालों का धंधा दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है, जहां रोगियों का इलाज भी काफी संख्या में होता है. लेकिन रोगियों का इलाज नीम हकीमों के माध्यम से ही किया जाता है. अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों के सामने ट्रॉमा सेंटर से लेकर पथरी एवं गुर्दे की स्पेशलिस्ट अस्पताल का बोर्ड लगा इलाज का दावा किया जाता है.
अस्पतालों के गेट पर लंबा-चौड़ा बोर्ड लगा हुआ है. जिसपर कई डॉक्टरों का नाम अंकित है. डॉक्टर के बारे में पूछने पर सुनने को यही मिलता है डॉक्टर साहब अभी किसी काम के लिए निकले हैं. यदि मरीज इन अस्पताल वालों के चंगुल में फंस गया तो किसी डॉक्टर को या तो बुला लिया जाता है या अपने ही उसकी सर्जरी तक कर दी जाती है. इसके बाद मरीजों के जान के साथ शामत आ जाती है.
कहते हैं सिविल सर्जन
बिना रोकटोक के चल रहे जिले में अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई के लिए कार्य योजना तैयार किया जा रहा है. इसके लिए सभी प्रखंडों में अवैध तरीके से संचालित अस्पतालों पर कार्रवाई करने के लिये टीम बना लिया गया है. 19 जनवरी के बाद अवैध रूप से चल रहे निजी अवैध नर्सिंग होम के संचालकों पर कार्रवाई की जायेगी. डॉ उषा किरण वर्मा, सिविल सर्जन, बक्सर

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