नाम में सुधार के लिए बैंक का चक्कर लगा रहे उपभोक्ता
बक्सर : रसोई गैस पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए उपभोक्ताओं को एजेंसियों में डीबीटीएल कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. आलम यह है कि आवेदन सहित अन्य कागजात को जुटाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे एजेंसियों में अब तक बहुत ही कम उपभोक्ताओं का […]
बक्सर : रसोई गैस पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए उपभोक्ताओं को एजेंसियों में डीबीटीएल कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. आलम यह है कि आवेदन सहित अन्य कागजात को जुटाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे एजेंसियों में अब तक बहुत ही कम उपभोक्ताओं का रजिस्ट्रेशन हो पाया है.
आंकड़े बताते हैं कि अब तक करीब 30 फीसदी उपभोक्ताओं के कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है. बक्सर जिले में इंडियन ऑयल की गैस एजेंसी विंध्यवासिनी गैस एजेंसी है, जिसमें 22 हजार उपभोक्ता हैं और उनमें से मात्र पांच हजार उपभोक्ताओं ने अपने दस्तावेज जमा किये हैं. इसी तरह भारत गैस की कुंवर ज्योति गैस एजेंसी है, जिसमें 23 हजार उपभोक्ता कनेक्शन लिये हुए हैं. इनमें से अब तक मात्र सात हजार उपभोक्ताओं के कागजात जमा हुए हैं. शेष उपभोक्ताओं के कागजात जमा होना अभी बाकी है. डीबीटीएल के लिए दिसंबर माह तक ही आवेदन जमा करना है. ऐसे में उपभोक्ताओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. उपभोक्ताओं ने बताया कि एजेंसी ने किसी तरह की कोई हेल्प लाइन की सुविधा नहीं दी है. इससे कम पढ़े-लिखे उपभोक्ताओं को आवेदन भरने में काफी परेशानी हो रही है.
नाम गलत होने पर लगा रहे बैंक का चक्कर : इस प्रक्रिया में एक समस्या उपभोक्ताओं को ज्यादा परेशानी में डाल रही है. असल में एजेंसी गैस के मूल प्रमाण पत्र में दर्ज नाम को बैंक खाता में दर्ज नाम से मिलान कर रहे हैं. ऐसे में हजारों लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है.
उपभोक्ता नाम में सुधार के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. इसके लिए उपभोक्ताओं को शपथ पत्र के साथ बैंक को एक आवेदन देना पड़ रहा है. इस प्रक्रिया में उन्हें तीन-चार दिन का समय लग रहा है. ऐसे में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.