मनमाना भाड़ा वसूल रहे स्कूल संचालक

डुमरांव : शहर के सभी निजी स्कूलों में बच्चों को स्कूल लाने व घर पहुंचाने के लिए वाहनों का संचालन किया जाता है़. स्कूल प्रबंधनों को इससे मोटी कमाई होती है़ पिछले साल स्कूल प्रबंधनों ने लगभग सौ रुपये परिवहन शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी़ वहीं, डीजल के मूल्य घटने के बावजूद भाड़ा जस-की-तस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 4:31 AM
डुमरांव : शहर के सभी निजी स्कूलों में बच्चों को स्कूल लाने व घर पहुंचाने के लिए वाहनों का संचालन किया जाता है़. स्कूल प्रबंधनों को इससे मोटी कमाई होती है़ पिछले साल स्कूल प्रबंधनों ने लगभग सौ रुपये परिवहन शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी़ वहीं, डीजल के मूल्य घटने के बावजूद भाड़ा जस-की-तस है़ नतीजतन बच्चों के अभिभावक परेशान हैं. इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इसकी शिकायत करें तो कहां. जेबों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने के बाद भी बच्चों को स्कूल भेजने इनकी विवशता बन गयी है़
अभिभावकों का दर्द
जंगल बाजार के जगदीश कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष स्कूल प्रबंधन ने डीलर की कीमत में बढ़ोतरी का हवाला देकर एक सौ रुपया किराया बढ़ा दिया़ लगातार डीजल के दामों में कमी आने के बाद भी वाहन भाड़ा ज्यों-की-त्यों है़ वहीं, दिनेश केसरी, विमल कुमार, मनोज कुमार बताते हैं कि स्कूल वाहनों का किराया बढ़ने के बाद भी सुविधा नदारद है़ बच्चे भेड़ बकरी की तरह ढोये जाते है़ं स्कूलों में शिकायत तक नहीं सुनी जाती. महिला सुषमा, कंचन व अनपूर्णा की मानें, तो अधिकतर स्कूलों में खटारा गाड़ी का प्रयोग होता है़ ऐसे में अभिभावकों को हमेशा भय बना रहता है.
डीएम से पहल की मांग
अभिभावकों ने जिला प्रशासन से पहल करने की मांग करते हुए कहा कि निजी स्कूलों को दूरी के हिसाब से भाड़ा का निर्धारण करना चाहिए. अभिभावकों को मजबूर होकर किराया देना पड़ता है़ उन्होंने डीएम से गुहार लगाते हुए खटारा गाड़ियों पर अविलंब रोक लगाने व भाड़े में कटौती करने की मांग की है़

Next Article

Exit mobile version