एक प्रजनन सहायक व भ्रमणशील पशु चिकित्सक के सहारे मवेशी अस्पताल
ब्रह्मपुर : प्रखंड का एक मात्र पशु चिकित्सालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. कभी पशुपालकों के लिए वरदान साबित होनेवाला यह चिकित्सा केंद्र आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है. मात्र एक प्रजनन सहायक और एक भ्रमणशील पशु चिकित्सक के सहारे चलनेवाले इस केंद्र में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. किसी […]
ब्रह्मपुर : प्रखंड का एक मात्र पशु चिकित्सालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. कभी पशुपालकों के लिए वरदान साबित होनेवाला यह चिकित्सा केंद्र आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है. मात्र एक प्रजनन सहायक और एक भ्रमणशील पशु चिकित्सक के सहारे चलनेवाले इस केंद्र में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है.
किसी स्थायी डॉक्टर के नहीं होने के चलते यहां के पशुपालकों को बाहरी चिकित्सकों पर आश्रित रहना पड़ रहा है. ये डॉक्टर वाजिब डिग्री न होने के बावजूद इलाज करते हैं और पशुपालकों से मुंह मागी रकम लेते हैं. कभी-कभी रोग पकड़ में न आने और दवा की ओवर डोज होने के कारण पशुओं की मौत भी हो जाती है. ऐसे में गरीब पशुपालक, जो बैंक से कर्ज लेकर पशु खरीदते हैं, उनकी कमर टूट जाती है.
दूसरी तरफ पशुपालन विभाग द्वारा प्रचार प्रसार न होने के कारण पशुओं में होनेवाली बीमारी का पता यहां के पशुपालकों को नहीं हो पाता. न ही कभी टीकाकरण आदि के विषय में बताया जाता है.
पशुपालक वीरेंद्र यादव, जयकिसुन यादव, नन्हक यादव, शिवजी सिंह आदि ने बताया कि यहां का मवेशी अस्पताल केवल नाम मात्र का है. जहां न दवा मिलती है और न चिकित्सक. दूसरी तरफ भ्रमणशील पशु चिकित्सक मिथिलेश कुमार का कहना है कि समय-समय पर पशुपालकों को पशुओं में होनेवाली बीमारियों के बारे में बताया जाता है. इस समय पशुपालकों के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी गयीं हैं, जिसमें पशुओं की लागत मूल्य का चार प्रतिशत जमा करके कोई भी पशुपालक अपने पशुओं का बीमा करा सकता है.
ये वैक्सीन नहीं हैं
खुरहा, गलाघोंटू , रोग प्रतिरोधण वैक्सीन उपलब्ध नहीं.
उपलब्ध दवा
एभिल, इंजेक्शन, प्रोटोनील, फलोस्कापैक, ओक्सीक्लोफेन, फेरालिभ, कालभेट, सल्फाडिवाडिन.
वर्तमान में इन गांवों के पशुपालक जुड़े हैं अस्पताल से शिवपुर, दूरी तीन किलोमीटर, कांट तीन किलोमीटर, रहथुआ तीन किमी, निमेज दो किमी, पांडेपुर तीन किमी, देवकुली पांच किमी, पुरवां चार किमी, रघुनाथपुर तीन किमी, कैथी आठ किमी, चंद्रपुरा सात किमी, उधुरा पांच किमी, महुआर 10 किमी.
प्रति माह लगभग 200 पशुओं का होता इलाज : महीने में लगभग 200 पशुओं की चिकित्सा होती है. 50 से 55 पशुओं का गर्भधान किया जाता है. गर्भधान का फीस अनुसूचित जाति के लिए 25 और अन्य के लिए 40 रुपये निर्धारित है.
बच्चे खेलते हैं क्रिकेट : चिकित्सालय की चहारदीवारी चारों ओर से टूटी हुई है. दिन में बच्चे क्रिकेट यहीं पर खेलते हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ विगन सिंह ने बताया कि जिले में पशु चिकित्सकों की कमी है. इसलिए कई जो चिकित्सक हैं, उन्हें विभिन्न जगहों का प्रभार दिया गया है.
प्रभार में हैं प्रखंड पशुपालक पदाधिकारी : प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डा़ अखिलेश राय पशु चिकित्सालय के अतिरिक्त प्रभार में हैं. प्रजनन सहायक रामसागर सिंह के भरोसे अस्पताल चल रहा है.